India Pakistan Tension: जहां एक ओर नया विवाहित जीवन शुरू होता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने निजी सुख से ऊपर देश को रखकर मिसाल कायम करते हैं. जलगांव जिले के पचोरा तालुका के पुनगांव के रहने वाले फौजी मनोज ज्ञानेश्वर पाटिल और उनकी नवविवाहिता पत्नी यामिनी ने ऐसा ही उदाहरण पेश किया है.
शादी के तीन दिन बाद देश सेवा को किया प्रस्थान
बता दें कि 5 मई को मनोज पाटिल की शादी कलमसारा गांव की यामिनी से धूमधाम से हुई थी. लेकिन खुशियों के इस माहौल में अचानक सेना से आदेश आया कि उन्हें तुरंत मुख्यालय में रिपोर्ट करना है. ऐसे में शादी के महज तीन दिन बाद ही मनोज को 8 मई को युद्ध जैसे हालात के बीच ड्यूटी पर रवाना होना पड़ा.
सगळ काही भारत मातेसाठी...
— Ganesh Pokale... (@P_Ganesh_07) May 9, 2025
लग्नाच्या तीन दिवसांनंतर महाराष्ट्राचे सुपूत्र मनोज पाटील देश सेवेसाठी रवाना... #oprationsindoor #IndianNavyAction #IndiaPakistanTensions #jalgaonnews #India #army #manojpatil #देशसेवा pic.twitter.com/1gmbhYcoTD
रेलवे स्टेशन पर भावुक विदाई
वहीं, गुरुवार को मनोज को विदा करने पचोरा रेलवे स्टेशन पर पूरा परिवार, रिश्तेदार और स्थानीय नागरिक मौजूद थे. विदाई के इस क्षण ने सभी की आंखें नम कर दीं. सबसे मार्मिक दृश्य तब देखने को मिला जब यामिनी ने अपने पति को विदा करते हुए कहा, ''मैं देश की रक्षा के लिए अपना सिंदूर भेज रही हूं.'' इस एक वाक्य ने नारी शक्ति और देशभक्ति की असली तस्वीर पेश कर दी.
देश से बड़ा कुछ नहीं - यामिनी पाटिल
इसको लेकर यामिनी ने साफ कहा, ''देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है. अगर मेरे पति देश की रक्षा के लिए जा रहे हैं, तो मैं गर्व से उन्हें भेज रही हूं.'' यह जज्बा सिर्फ एक पत्नी का नहीं, बल्कि पूरे भारत की महिलाओं की भावना को दर्शाता है जो अपने परिवार से पहले देश को प्राथमिकता देती हैं.
संसार, कुटुंब यांहूनही अधिक देशसेवेला प्राधान्य देणारे जवान ही खरी आपल्या देशाची संपत्ती!
— Chhagan Bhujbal (@ChhaganCBhujbal) May 9, 2025
भारत-पाकिस्तान तणावाच्या पार्श्वभूमीवर सैन्याकडून देश आल्यावर लग्नाच्या अवघ्या चौथ्या दिवशीच तात्काळ कर्तव्यावर हजर होण्यासाठी सज्ज झालेला पाचोरा (जळगाव) येथील मनोज पाटील हा जवान आणि त्याला… pic.twitter.com/gSzevXJZBi
सत्यनारायण पूजा के बीच ड्यूटी पर रवाना
इसके अलावा, शादी के बाद 9 मई को मनोज के घर सत्यनारायण पूजा का आयोजन होना था, लेकिन इससे पहले ही उन्हें फौजी कर्तव्य निभाने के लिए सीमा की ओर निकलना पड़ा. यह दिखाता है कि भारतीय सैनिकों के लिए फर्ज सबसे ऊपर होता है.