Emergency In India: आज से ठीक 50 साल पहले, 25 जून 1975 की रात भारतीय लोकतंत्र पर सबसे काला धब्बा लगा था. इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने अचानक पूरे देश में आपातकाल घोषित कर दिया था. इस फैसले के बाद नागरिकों के मौलिक अधिकार (fundamental rights )तक छीन लिए गए. अखबारों पर सेंसरशिप लग गई, विरोधियों को जेल में डाल दिया गया और हर किसी की आवाज को दबा दिया गया.
हालांकि यह भारत में इमरजेंसी का पहला मौका नहीं था. इससे पहले भी दो बार (1962 और 1971 में) आपातकाल लग चुका था, लेकिन तब उसकी ठोस वजहें थीं जैसे युद्ध या बाहरी हमला. मगर 1975 में जो हुआ, वह सत्ता बचाने की कोशिश ज्यादा लगती है. चलिए जानते हैं कब-कब लगी थी इमरजेंसी और क्यों.
26 अक्टूबर 1962 को चीन के साथ युद्ध की स्थिति में देश में पहली बार आपातकाल लगाया गया था. तब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और इसे बाहरी खतरे के चलते लागू किया गया था. यह इमरजेंसी 1968 तक चली.
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के साथ युद्ध के चलते फिर आपातकाल लगाया गया. यह युद्ध बांग्लादेश की आजादी से जुड़ा था और देश की सुरक्षा को खतरा था. इस समय वीवी गिरी राष्ट्रपति थे.
25 जून 1975 की रात इंदिरा गांधी सरकार ने अचानक 'आंतरिक अस्थिरता' का हवाला देकर इमरजेंसी थोप दी. असली वजह थी एक कोर्ट का फैसला. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया था और 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद उनके इस्तीफे की मांग और देशभर में विरोध शुरू हो गया.
इंदिरा गांधी ने खुद को बचाने और सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से इमरजेंसी की घोषणा करवाई. यह आपातकाल पूरे 21 महीने यानी 21 मार्च 1977 तक चला.
आपातकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश के नागरिकों के मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए. अखबारों की आजादी खत्म कर दी गई. हर खबर को सरकार की अनुमति से छापा जाता. राजनीतिक विरोधियों को गिरफ्तार कर जेलों में बंद किया गया. जिनमें जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे बड़े नाम शामिल थे.
1975 की इमरजेंसी को आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में देखा जाता है. इसे इंदिरा गांधी की तानाशाही सोच और सत्ता की भूख का प्रतीक माना जाता है. राजनीतिक दल आज भी कांग्रेस और इंदिरा गांधी को इस फैसले के लिए घेरते हैं. यह एक ऐसा वक्त था जब भारत में लोकतंत्र को जबरन बंद कमरे में कैद कर दिया गया था.