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18 महीने की जेल, 493 गवाह, अब मनीष सिसोदिया को कैसे मिल गई जमानत? समझिए सारी बात

Manish Sisodia: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को सु्प्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति मामले में जमानत दे दी है. मनीष सिसोदिया को 16 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था. इसी केस में AAP के नेता संजय सिंह और अरविंद केजरीवाल भी गिरफ्तार किए गए थे. संजय सिंह पहले ही जमानत पर बाहर आ चुके हैं. वहीं, अरविंद केजरीवाल को भी ईडी केस में जमानत मिल चुकी है और सीबीआई केस में सुनवाई होनी है.

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Edited By: India Daily Live
Manish Sisodia
Courtesy: Social Media

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को पिछले साल 16 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. लंबे समय से लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाने में कामयाब हुए हैं. दिल्ली की आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि हाई कोर्ट इस बात का ध्यान रखें कि जमानत के लिए लोगों को सुप्रीम कोर्ट न आना पड़ा. यह फैसला आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी राहत है क्योंकि इससे पहले अरविंद केजरीवाल को भी एक केस में जमानत मिल चुकी है और दूसरे केस में ही जमानत मिलनी बाकी है.

इस मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि आखिर कब तक जांच होती रहेगी और यह सब कब खत्म होगा? आज जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाया. यह फैसला ईडी और सीबीआई दोनों केस में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर सुनाया गया है. जिसके बाद मनीष सिसोदिया के जेल से रिहा होने का रास्ता साफ हो गया है.

'ट्रायल जल्दी पूरा होने की संभावना कम है'

फैसला सुनाते हुए जस्टिस गवाई ने कहा कि हमने सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया है और यह भी देखा है कि याचिकाकर्ता जब पिछली बार सुप्रीम कोर्ट आए थे तब से अब तक 7 महीने हो चुके हैं. उन्होंने कहा, 'अगर अब फिर से याचिकाकर्ता (सिसोदिया) को लोअर कोर्ट भेजा जाता है तो यह सांप-सीढ़ी के खेल जैसा हो जाएगा. यहां सवाल उठता है कि क्या ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने ट्रायल में देरी को ध्यान में रखा? हमें लगता है कि इस अदालत के फैसले को नजरअंदाज किया गया.'

जस्टिस गवई ने कहा, 'याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी वलह से ट्रायल में देरी हुई लेकिन ट्रायल कोर्ट ने उनकी बात खारिज कर दी. यह कहा गया कि एक डिजिटल दस्तावेज तैयार करने में 70 से 80 दिन लगेंगे. जब हमने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) से पूछा कि वह कोई ऐसा आदेश दिखा सकते हैं तो वह नहीं दिखा पाए. हमने देखा कि ASG के विरोध आपस में ही विरोधाभासी हैं. अगर जांच ही 3 जुलाई 2024 को पूरी होनी थी तो ट्रायल उससे पहले कैसे पूरा हो जाएगा? सिद्धांत ये है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. इस केस में 493 गवाहों का नाम है. इस बात की बहुत कम संभावना है कि ट्रायल जल्दी पूरा हो पाएगा. ऐसे में याचिकाकर्ता को असीमित समय तक जेल में रखना उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा.'

'पासपोर्ट सरेंडर करें सिसोदिया'

सबूतों से छेड़छाड़ के मामले पर उन्होंने कहा, 'याचिकाकर्ता की जड़ें समाज से जुड़ी हुई हैं, उनके भागने की आशंका कम है. फिर भी शर्तें लागू की जा सकती हैं. ज्यादातर सबूत ईडी और सीबीआई के पास है. ऐसे में में हम दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हैं और याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश देते हैं. वह अपना पासपोर्ट सरेंडर करें और हर सोमवार को जांच अधिकारी को रिपोर्ट करें. वह गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश न करें.'

इस पर ASG ने मांग उठाई कि मनीष सिसोदिया को सीएम ऑफिस या सचिवालय न जाने दिया जाए. इस पर जस्टिस गवई ने कहा, 'ऐसा नहीं कहा जा सकता है.'