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India Daily

कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना में भी हेट स्पीच पर आएगा कानून, सीएम रेड्डी ने किया ऐलान

कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना सरकार भी नफरत भरे भाषण के खिलाफ कानून लाने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में जल्द विधेयक पेश करने की घोषणा की है.

Kuldeep Sharma
Edited By: Kuldeep Sharma
Revanth Reddy india daily
Courtesy: social media

देश में नफरत भरे भाषण और सामाजिक विभाजन को लेकर बढ़ती चिंता के बीच एक और राज्य इस दिशा में सख्त कदम उठाने जा रहा है. कर्नाटक के बाद अब तेलंगाना सरकार ने भी एंटी-हेट स्पीच कानून लाने का ऐलान किया है. 

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने साफ किया है कि राज्य में नफरत फैलाने वाले भाषणों को रोकने के लिए जल्द ही विधानसभा में विधेयक पेश किया जाएगा. यह कदम सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.

कर्नाटक के बाद तेलंगाना का कदम

तेलंगाना में प्रस्तावित यह कानून ऐसे समय आ रहा है जब कर्नाटक ने देश का पहला एंटी-हेट स्पीच और हेट क्राइम कानून पारित किया है. कांग्रेस शासित दोनों राज्यों के इन कदमों को पार्टी की सामाजिक समरसता की नीति से जोड़कर देखा जा रहा है. कर्नाटक के फैसले के बाद अन्य राज्यों में भी इस तरह के कानूनों पर चर्चा तेज हो गई है.

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की घोषणा

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद में आयोजित क्रिसमस समारोह के दौरान इस प्रस्तावित कानून की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही विधानसभा में नफरत भरे भाषण के खिलाफ विधेयक लाएगी. मुख्यमंत्री ने संकेत दिया कि कानून का उद्देश्य किसी समुदाय या वर्ग के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी पर सख्त कार्रवाई करना होगा.

कर्नाटक कानून की सख्त धाराएं

कर्नाटक सरकार द्वारा पारित हेट स्पीच और हेट क्राइम (प्रिवेंशन) बिल में कड़े प्रावधान रखे गए हैं. इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना और सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. यही मॉडल तेलंगाना के प्रस्तावित कानून के लिए भी एक आधार माना जा रहा है.

सामाजिक सौहार्द पर सरकार का जोर

तेलंगाना सरकार का मानना है कि नफरत भरे भाषण समाज में तनाव और अविश्वास को बढ़ावा देते हैं. प्रस्तावित कानून के जरिए सार्वजनिक मंचों, राजनीतिक भाषणों और सोशल प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदार व्यवहार सुनिश्चित करने की कोशिश की जाएगी. सरकार का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनी रहेगी, लेकिन नफरत फैलाने की अनुमति नहीं होगी.

राजनीतिक और कानूनी बहस की संभावना

इस तरह के कानून को लेकर राजनीतिक और कानूनी स्तर पर बहस तय मानी जा रही है. विपक्षी दल अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर सवाल उठा सकते हैं, जबकि सरकार इसे सामाजिक शांति के लिए जरूरी कदम बता रही है. आने वाले विधानसभा सत्र में यह विधेयक तेलंगाना की राजनीति में अहम मुद्दा बन सकता है.