अहमदाबाद के मणिनगर स्थित सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट हायर सेकेंडरी स्कूल में दसवीं कक्षा के छात्र नयन सांतानी की एक जूनियर छात्र द्वारा चाकू से हत्या के एक दिन बाद, स्कूल प्रशासन पर लापरवाही और सबूत नष्ट करने के गंभीर आरोप लगे हैं. इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैला दिया है. वहीं, इस घटना के बाद से ही अहमदाबाद पुलिस व शिक्षा विभाग ने इन आरोपों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि स्कूल प्रशासन ने घायल छात्र के लिए तुरंत एम्बुलेंस बुलाने के बजाय, परिसर में फैले खून के धब्बों को मिटाने के लिए एक वॉटर टैंकर मंगवाया है. पुलिस ने बताया, "छात्र को तेज धार वाले कटर से हमला करने के बाद वह परिसर में ही गिर पड़ा. फिर भी, न तो किसी स्टाफ सदस्य ने और न ही सुरक्षा गार्ड ने 108 आपातकालीन सेवा को कॉल किया. इसके बजाय, छात्र को तब तक कोई मदद नहीं मिली जब तक कि उसके एक सहपाठी ने रिक्शा की व्यवस्था कर उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया." इस देरी के कारण काफी रक्तस्राव ने छात्र की जीवित रहने की संभावनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया.
पुलिस और शिक्षा विभाग की जांच
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जैपाल सिंह राठौर, एडिशनल एसपी (सेक्टर 2), ने कहा, "हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि एम्बुलेंस क्यों नहीं बुलाई गई और देरी क्यों हुई. इन पहलुओं की विस्तार से जांच की जाएगी. क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर शरद सिंघल ने बताया कि अभिभावकों ने स्कूल पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "एक फोरेंसिक टीम इस दावे की जांच करेगी कि स्कूल से किसी ने क्राइम सीन को साफ करने के लिए टैंकर बुलाया. यदि यह आरोप सिद्ध हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी."
शिक्षा विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट
जिला शिक्षा अधिकारी के ऑफिस की शुरुआती रिपोर्ट ने भी स्कूल प्रशासन की लापरवाही की पुष्टि की. रिपोर्ट में कहा गया, "हमारे निष्कर्ष स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि स्कूल प्रशासन तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने में विफल रहा। पहली बार में 108 न बुलाने से बच्चे को जीवन रक्षक उपचार का अवसर नहीं मिला। हम प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश करेंगे."
अभिभावकों का आक्रोश
इस खुलासे ने अभिभावकों और स्थानीय निवासियों के गुस्से को और भड़का दिया. एक अभिभावक ने स्कूल के बाहर कहा, "यह पूरी तरह से लापरवाही का कृत्य है." उन्होंने एम्बुलेंस से पहले टैंकर बुलाने के फैसले को चौंकाने वाला और अमानवीय बताया. स्कूल प्रशासन ने हालांकि दावा किया कि उन्होंने 108 को कॉल किया था, लेकिन एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची, जिसके कारण रिक्शा का उपयोग करना पड़ा. लेकिन कई गवाहों, जिसमें छात्र भी शामिल हैं, उन्होंने इस दावे का खंडन किया. एक गवाह ने कहा, "स्कूल स्टाफ से कोई मदद नहीं मिली. सहपाठियों ने ही उसे अस्पताल पहुंचाया."
स्कूल प्रशासन के खिलाफ अभिभावक कर रहे कड़ी कार्रवाई की मांग
पुलिस ने इस मामले में सबूत नष्ट करने और समय पर मेडिकल मदद न देने के आरोपों की गहन जांच-पड़ताल शुरू की है. यह घटना स्कूलों में सुरक्षा प्रोटोकॉल और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाती है. फिलहाल, स्थानीय समुदाय और अभिभावक स्कूल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.