नई दिल्ली: गुजरात की नौकरशाही उस वक्त हिल गई, जब प्रवर्तन निदेशालय ने सुरेंद्रनगर में बड़े गैर-कृषि जमीन घोटाले पर कार्रवाई की. ED ने एक साथ कई ठिकानों पर छापे मारकर डिप्टी मामलातदार को नकदी के साथ गिरफ्तार किया. जांच में रिश्वत, बिचौलियों और फाइलों के दुरुपयोग का सुनियोजित सिस्टम सामने आया. यह मामला केवल एक अधिकारी तक सीमित नहीं दिख रहा है.
23 दिसंबर को ED ने सुरेंद्रनगर में जिला प्रशासन से जुड़े कई ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के आवासों की तलाशी ली गई. इस कार्रवाई से प्रशासनिक गलियारों में अफरा-तफरी मच गई. जांच का केंद्र करोड़ों रुपये के गैर-कृषि जमीन मंजूरी से जुड़े मामलों पर रहा, जहां लंबे समय से अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ रही थीं.
तलाशी के बाद ED का फोकस डिप्टी मामलातदार चंद्रसिंह मोरी पर गया. उनके घर से 67.50 लाख रुपये नकद बरामद किए गए. ED का मानना है कि यह रकम जमीन की NA मंजूरी के बदले ली गई रिश्वत से जुड़ी है. 24 दिसंबर को मोरी को अहमदाबाद ग्रामीण स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां ED ने रिमांड की मांग की.
ED की रिमांड अर्जी में खुलासा हुआ कि जमीन आवेदनों को तेजी से निपटाने के लिए स्पीड मनी ली जाती थी. रिश्वत की रकम पहले से तय होती थी और प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से वसूली होती थी. यह पैसा बिचौलियों और एजेंटों के जरिए अधिकारियों तक पहुंचाया जाता था. जांच एजेंसी ने इसे योजनाबद्ध और संगठित भ्रष्टाचार बताया है.
छापेमारी के दौरान ED को कलेक्टर के बंगले से करीब 100 सरकारी फाइलें मिलीं. इन फाइलों को घर ले जाने पर सवाल उठे हैं. ED सूत्रों के मुताबिक, इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि NA मंजूरी में किन नियमों को दरकिनार किया गया और किन लोगों को अवैध फायदा पहुंचाया गया.
मोरी के वकील ने गिरफ्तारी और तलाशी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई. उन्होंने सर्च वारंट और नकदी के स्रोत पर सवाल उठाए. हालांकि कोर्ट ने ED को 1 जनवरी तक रिमांड दे दी. इस बीच, प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि जांच का दायरा और बढ़ सकता है और आने वाले दिनों में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं.