दोस्ती की ओर एक और कदम...सीधी उड़ान से लेकर व्यापार तक, भारत-चीन के बीच अहम मुद्दों पर बनी सहमति
2020 में कोविड-19 महामारी के बाद से भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें निलंबित थीं. अब दोनों देशों ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया है, हालांकि अभी इसकी शुरुआत की कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की गई है.
India China Relation: भारत और चीन ने अपने रिश्तों को नया आयाम देने का फैसला किया है. हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ता में कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी. दोनों पड़ोसी देशों ने सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने सीमा पर शांति बनाए रखने और व्यापार व निवेश को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया. यह कदम 2020 में गलवान घाटी में हुए सीमा टकराव के बाद तनावग्रस्त हुए रिश्तों को फिर से सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.
2020 में कोविड-19 महामारी के बाद से भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें निलंबित थीं. अब दोनों देशों ने इसे फिर से शुरू करने का फैसला किया है, हालांकि अभी इसकी शुरुआत की कोई निश्चित तारीख घोषित नहीं की गई है. इसके साथ ही दोनों देशों ने पर्यटकों, व्यवसायियों, पत्रकारों और अन्य आगंतुकों के लिए वीज़ा प्रक्रिया को और सरल करने पर सहमति जताई है. यह कदम दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संपर्क को बढ़ाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा.
सीमा पर शांति और व्यापारिक सहयोग
सीमा पर शांति और स्थिरता दोनों देशों के लिए प्राथमिकता है. 2020 के बाद से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद ने रिश्तों में कड़वाहट पैदा की थी, लेकिन अब दोनों पक्ष इस तनाव को कम करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रहे हैं. इसके अलावा, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. भारत और चीन, जो एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसे में, आपसी सहयोग से दोनों देश न केवल अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान दे सकते हैं.
पीए मोदी की चीन यात्रा
यह प्रगति ऐसे समय में हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं. यह यात्रा दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय कूटनीतिक संबंधों को और मजबूत करने का एक अवसर होगी. अमेरिका की अप्रत्याशित विदेश नीति और टैरिफ युद्ध के प्रभावों के बीच, भारत और चीन सावधानीपूर्वक अपने रिश्तों को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों देशों ने भविष्य में और अधिक द्विपक्षीय यात्राओं और बैठकों की योजना बनाई है, ताकि आपसी विश्वास और सहयोग को और गहरा किया जा सके.