विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने और निर्यातकों की मुश्किलें कम करने के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है. अमेरिका द्वारा अगस्त से लागू की गई भारी-भरकम टैरिफ दरों से भारतीय उद्योगों में चिंता बढ़ी है. इसी बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार ऐसे कदम उठाने जा रही है जिससे निर्यातकों को सहारा मिल सके और उनकी कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहें.
वित्त मंत्री सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि सरकार एक विशेष पैकेज लेकर आएगी, जिससे उन उद्योगों को सहारा मिलेगा जिन्हें अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्क से नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार 'हाथ पर हाथ धरे' नहीं बैठ सकती और जल्द ही ऐसा समाधान पेश करेगी जो प्रभावित उद्योगों को राहत दे. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रस्तावित योजना को कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने भारत से आयातित कई वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया था.0 इसमें कपड़े, आभूषण, जूते और रसायन जैसे प्रमुख निर्यात उत्पाद शामिल हैं. अब इन पर लगने वाला कर 50% तक पहुंच गया है, जिससे भारतीय कंपनियां वियतनाम, चीन और बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले पिछड़ती दिख रही हैं. उद्योग जगत का कहना है कि इससे ऑर्डर रद्द हो सकते हैं, भुगतान में देरी हो सकती है और कारोबारियों को पूंजी संकट का सामना करना पड़ सकता है.
सरकारी सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार कोविड-19 काल की तरह नकदी प्रवाह बढ़ाने और उद्योगों को सहारा देने वाली योजनाओं पर विचार कर रही है. इसके तहत निर्यातकों को तुरंत नकदी की सुविधा देने, दिवालियापन से बचाने और रोजगार सुरक्षित रखने जैसे कदम शामिल हो सकते हैं. साथ ही, सरकार मध्यम और दीर्घकालिक रणनीतियों पर भी काम कर रही है ताकि भारतीय निर्यातक नए बाजारों में प्रवेश कर सकें और वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनें.
भारत और अमेरिका को अब तक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखा जाता था, लेकिन ट्रंप प्रशासन के तहत लगाए गए ये कड़े शुल्क दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को कमजोर कर रहे हैं. उद्योग से जुड़े अनुमान बताते हैं कि करीब 55% भारतीय निर्यात, जिसकी कीमत लगभग 48 अरब डॉलर है, अब अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा खो रहा है. ऐसे में सरकार का राहत पैकेज न सिर्फ उद्योगों बल्कि रोजगार और अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम साबित होगा.