Pranab Mukherjee Book: सोशल मीडिया पर एक गलत दावा वायरल हो रहा है कि प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा "द कोलिशन ईयर्स" में सोनिया गांधी को 'हिंदुओं से नफरत' करने वाली नेता बताया है. यह दावा पूरी तरह से गलत और मनगढ़ंत है. "द कोलिशन ईयर्स" में प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी के बारे में ऐसे कोई शब्द नहीं कहे हैं.
दरअसल, पुस्तक में उन्होंने 1996 से 2012 के बीच अपने राजनीतिक अनुभवों और सोनिया गांधी के साथ संबंधों का उल्लेख किया है, जिसमें असहमतियों और सहमतियों का लोकतांत्रिक आदान-प्रदान था. यह किताब प्रणब मुखर्जी की बायोग्राफी है, जो इस अवधि में उनकी राजनीति और सरकार में उनकी भूमिका पर आधारित है. किताब में एक जगह प्रणब मुखर्जी ने सोनिया गांधी के साथ अपने रिश्तों को सकारात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है. उदाहरण के लिए, 1999 के चुनावों के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा है कि वे और सोनिया गांधी कई मुद्दों पर असहमत थे, लेकिन एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करते थे.
शंकराचार्य की गिरफ्तारी से जुड़ा है मुद्दा
वायरल दावे की जांच करने पर यह साफ हो गया कि "द कोलिशन ईयर्स" में प्रणब मुखर्जी ने किसी भी स्थान पर सोनिया गांधी को हिंदुओं से नफरत करने वाली नेता नहीं बताया है. एक विशेष प्रसंग में, 2004 में कांची के शंकराचार्य की गिरफ्तारी के दौरान उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि क्या भारतीय राज्य सिर्फ हिंदू संतों के मामलों में ही धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है. उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या सरकार मुस्लिम नेताओं की गिरफ्तारी के दौरान भी ऐसा करती? यह बयान उनके धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को दर्शाता है, न कि सोनिया गांधी के खिलाफ कोई नफरत.
हिंदुओं से नफरत करने वाली नेता का जिक्र नहीं
इस तरह के दावे को लेकर जांच में यह भी सामने आया कि प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में सोनिया गांधी के साथ रिश्ते को एक सकारात्मक और सहयोगात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है. उनकी किताब में कोई ऐसा बयान नहीं है जो सोनिया गांधी को 'हिंदुओं से नफरत' करने वाली कहे.
दोनों नेताओं के बीच सहमति-असहमति का मुद्दा
ऐसे में कहा जा सकता है कि यह दावा केवल सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही एक गलत जानकारी है. प्रणब मुखर्जी की आत्मकथा "द कोलिशन ईयर्स" में सोनिया गांधी के प्रति किसी तरह की नफरत या नकारात्मक टिप्पणी नहीं की गई है, बल्कि उनके साथ उनके राजनीतिक रिश्तों का उल्लेख किया गया है जो असहमति और सहमति पर आधारित था.