भारत और चीन के बीच 2020 की सीमा पर तनाव के बाद संबंधों में ठहराव आ गया था. अब इस खिंचाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम उठाते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर 15 जुलाई को तियानजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शामिल होंगे. इसके अलावा वे एक द्विपक्षीय यात्रा पर भी चीन जाएंगे.
चीन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को पुष्टि की है कि 15 जुलाई को तियानजिन में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित होगी. इसमें सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री और संगठन की स्थायी निकायों के प्रमुख भाग लेंगे. इस बैठक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. जयशंकर की यह यात्रा इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि 2020 में पूर्वी लद्दाख में हुई सैन्य झड़प के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी.
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जून के महीने में क़िंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने गए थे. 26 जून को उन्होंने चीनी रक्षा मंत्री जनरल डोंग जुन से मुलाकात की थी. इस बातचीत में राजनाथ सिंह ने तनाव घटाने के लिए एक "संरचित रोडमैप" का प्रस्ताव दिया और ज़मीनी स्तर पर विश्वास बहाली की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि 2020 की घटना के बाद बने अविश्वास को दूर करना जरूरी है ताकि दोनों देशों के बीच "सौहार्दपूर्ण पड़ोसी संबंध" बहाल हो सकें.
राजनाथ सिंह की बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि "सीमा विवाद जटिल है और इसे सुलझाने में समय लगेगा". हालांकि, अक्टूबर 2021 में डेमचोक और देपसांग से दोनों देशों की सेनाओं की वापसी के बाद सीमा पर टकराव खत्म हो गया था. इसके बाद अक्टूबर 23 को रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात में यह निर्णय लिया गया था कि विशेष प्रतिनिधि (SR) स्तर की बातचीत को फिर से शुरू किया जाएगा, ताकि आपसी संबंधों को पटरी पर लाया जा सके.