जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान जारी है. इस बीच चुनाव को देखने 16 अलग-अलग देशों से 20 राजनयिक श्रीनगर पहुंचे हैं. यह पहली बार है कि केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया देखने के लिए विदेशी राजनयिकों को आमंत्रित किया है. उनकी इस यात्रा की व्यवस्था विदेश मंत्रालय ने की है. विदेशी मेहमानों में अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधि शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान का निरीक्षण करने के लिए अमेरिका, यूरोपीय संघ, रूस और ऑस्ट्रेलिया सहित 16 विदेशी मिशनों के राजनयिकों का एक समूह आज श्रीनगर पहुंचा है. 20 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय के चार प्रतिनिधि शामिल हैं. इस यात्रा को लेकर पहले से ही विवाद है, क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और पूछ रहे हैं कि अगर जम्मू-कश्मीर एक आंतरिक मामला और अभिन्न अंग है तो विदेशी राजनयिकों को कश्मीर क्यों लाया जा रहा है.
श्रीनगर, बडगाम और गंदेरबल जिलों में मतदान हो रहे हैं और सूत्रों ने कहा कि विदेशी पर्यवेक्षकों के लिए यह चरण सबसे उपयुक्त है. प्रतिनिधिमंडल संभवत जम्मू नहीं जाएगा और केवल बडगाम और श्रीनगर जिलों में ही यात्रा करेगा.
भारत में अमेरिकी मिशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी अगस्त के आखिरी सप्ताह में कश्मीर का दौरा किया था. राजनीतिक मामलों के मंत्री-परामर्शदाता ग्राहम मेयर और प्रथम सचिव गैरी एप्पलगार्थ उन लोगों में शामिल थे जो उस समय घाटी आए थे और उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन से मुलाकात की थी. पिछले साल जी-20 सम्मेलन के दौरान श्रीनगर में आयोजित पर्यटन गोलमेज में कई जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया था.
जम्मू-कश्मीर भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने प्रतिनिधियों के दौरे का स्वागत किया और कहा, 'हमें जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के उत्सव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से मनाए जाने को देखने के इच्छुक किसी व्यक्ति का विरोध क्यों करना चाहिए? हम केवल किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप के खिलाफ हैं.'