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India Daily

विदेशी कर्ज की धीमी रफ्तार, प्रति व्यक्ति आय शानदार, दिल्ली को दमदार बनाता केजरीवाल मॉडल

कर्ज और प्रति व्यक्ति आय दो ऐसे मानदंड हैं जो विकास मॉडल की सही तस्वीर सामने रख देते हैं. ये मानक किसी भी प्रदेश या देश का आईना हैं. ये बताते हैं कि जनता कितनी सुखी या दुखी है. भारत की आबादी करीब 145 करोड़ यानी 1.45 अरब है और उस पर 711.8 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. इसका मतलब यह है कि हर व्यक्ति पर 490 डॉलर का विदेशी कर्ज है.

Sagar
Edited By: Sagar Bhardwaj
Delhi foreign debt debt and per capita income under Arvind Kejriwals rule

Delhi Development Model: विकास के मोदी-योगी मॉडल की खूब चर्चा होती है लेकिन क्या यह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के मॉडल से बेहतर साबित हुआ है? कर्ज और प्रति व्यक्ति आय दो ऐसे मानदंड हैं जो विकास मॉडल की सही तस्वीर सामने रख देते हैं. ये मानक किसी भी प्रदेश या देश का आईना हैं. ये बताते हैं कि जनता कितनी सुखी या दुखी है. इन पैमानों पर ही किसी भी मॉडल की परीक्षा हुआ करती है. देखते हैं कि मोदी-योगी और अरविन्द केजरीवाल के विकास मॉडल में कौन बेहतर है.

दिल्ली और देश पर कितना कर्ज

देश में विकास के मोदी मॉडल को समझें तो पहले विदेशी कर्ज पर गौर करते हैं. भारत की आबादी करीब 145 करोड़ यानी 1.45 अरब है और उस पर 711.8 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है. इसका मतलब यह है कि हर व्यक्ति पर 490 डॉलर का विदेशी कर्ज है. अगर एक डॉलर का मूल्य वर्तमान में 85 रुपये मानें तो हिसाब यह बनता है कि भारत में प्रति व्यक्ति विदेशी कर्ज 41,450 रुपये है. हालांकि देशी-विदेशी कर्ज जोड़कर 2022 में ही हर भारतीय पर 98,776 रुपये का कर्ज था. ताजा आंकड़े समग्रता में उपलब्ध नहीं हैं.

अगर भारत के ऋण-जीडीपी अनुपात को देखें तो यह 19.4 फीसद के स्तर पर है. कहीं से भी यह संतोषजनक नहीं है. उत्तर प्रदेश पर नज़र डालें तो यूपी पर कुल कर्ज 7,47,545.73 करोड़ रुपया है. 2024-25 में इसके बढ़कर 8.16 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. यानी यूपी अभी हर व्यक्ति पर कर्ज 31,147 रुपये हो चुका है जो चालू वित्त वर्ष में और भी बढ़ने वाला है. यूपी के बजट को 1 ट्रिलियन रुपये के स्तर पर ले जाने का दावा योगी सरकार कर रही है लेकिन इस वक्त यूपी के बजट का आकार है 23,61,462 करोड़ रुपए. 

राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति ऋण और यूपी में प्रति व्यक्ति ऋण के मुकाबले दिल्ली की आर्थिक सेहत को भी समझना जरूरी है. 31 मार्च 2022 तक दिल्ली पर 41,481.50 करोड़ रुपये का ऋण था जो एक साल पहले मार्च 2021 में 40, 696.66 करोड़ रुपये था. यानी 784.84 करोड़ का ऋण बढ़ा. इससे पहले सीएजी की रिपोर्ट में भी 2019-2020 तक के आंकड़े दिए गये हैं जिसमें दिल्ली पर चार साल में 2268 करोड़ का ऋण बढ़ जाने की बात कही गयी है. इसका मतलब है कि ऋण निश्चित रूप से बढ़ रहे हैं. मगर, ऋण बढ़ने की रफ्तार क्या बाकी प्रदेशों से या राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहे ऋण से ज्यादा है? कतई नहीं. सच ये है कि दिल्ली में ऋण-जीएसडीपी अनुपात महज 4.59% है और यह लगातार घटा है. उल्लेखनीय बात यह है कि जीएसडीपी के मुकाबले ऋण का प्रतिशत इतने कम स्तर पर पहले कभी नहीं था. दिल्ली सरकार के लिए यह बड़ी उपलब्धि है. 

राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से ज्यादा दिल्ली की कमाई
कमाई के स्तर पर भी दिल्ली की स्थिति देश के कई राज्यों से बेहतर है. देश में प्रति व्यक्ति आय 2.28 लाख रुपये सालाना है. यूपी में प्रति व्यक्ति आय महज 84 हजार रुपये सालाना हैं. वहीं दिल्ली मे प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख रुपये सालाना है. तुलनात्मक रूप में देखें तो दिल्ली में रहने वाले लोगों की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के दोगुने से ज्यादा है. अगर यूपी से तुलना करें तो दिल्ली वाले करीब साढ़े पांच गुना ज्यादा कमाई कर रहे हैं हैं. स्पष्ट है कि अरविंद केजरीवाल के विकास मॉडल ने दिल्ली को आर्थिक रूप से बेहद सुरक्षित बनाया है चाहे प्रति व्यक्ति आय की बात हो या फिर प्रति व्यक्ति कर्ज की. 

Input: प्रेम कुमार, वरिष्ठ पत्रकार व टीवी पैनलिस्ट