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India Daily

'बेहद असंवेदनशील...,' भारत-पाकिस्तान एशिया कप मुकाबले को लेकर राजनीतिक गुस्सा बढ़ा, बहिष्कार की मांग तेज

पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के व्यापारी शुभम द्विवेदी की विधवा ऐशन्या ने लोगों से मैच का बहिष्कार करने की अपील की. यह विवाद न केवल क्रिकेट बल्कि भारत की विदेश नीति पर सवाल उठा रहा है. पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि निलंबित की, व्यापार रोका और कूटनीतिक हमले किए, लेकिन मल्टीनेशनल टूर्नामेंट में पाकिस्तान से खेलना जारी है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Opposition demanded boycott
Courtesy: X

भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच को लेकर देशभर में जमकर आलोचना हो रही है, विपक्षी दलों ने इसे पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और सीमा पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों का अपमान बताया है. दरअसल, 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के बैसरन मैदान में हमला किया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे.

इस घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया, जिसके जवाब में भारत ने मई में 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था. अब, इस हमले के महज पांच महीने बाद क्रिकेट मैच का आयोजन राष्ट्रीय भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है.

पहलगाम हमले की यादें ताजा

इस दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र में 'सिंदूर' विरोध प्रदर्शन की घोषणा करते हुए कहा कि मैच का बहिष्कार दुनिया को आतंकवाद पर भारत के रुख से अवगत कराने का एक अवसर है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने शनिवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘‘जब तक आतंकवाद नहीं रुकता, हमें पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए.’’

क्या ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया गया है?- उद्धव ठाकरे

बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने पूछा कि क्या सरकार यह घोषणा करने जा रही है कि ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया गया है, और देशभक्तों से अपील की कि वे प्रतियोगिता न देखें, क्योंकि पहलगाम हमले के घाव अभी भी ताजा हैं. ठाकरे ने पूछा, "यह क्रिकेट मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है. क्या हमें पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलना चाहिए जबकि हमारे सैनिक सीमा पर अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं?" ठाकरे ने कहा,'' शिवसेना (यूबीटी) की महिला कार्यकर्ताओं द्वारा 'सिंदूर रक्षा अभियान' के तहत सिंदूर इकट्ठा कर प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा जाएगा, जो शहीदों की पत्नियों के दर्द का प्रतीक है. ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा पाकिस्तान से आतंक रुके बिना क्रिकेट का विरोध किया था

आप और अन्य विपक्षी दलों का कड़ा विरोध

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आप नेता सौरभ भारद्वाज ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रीय राजधानी में पाकिस्तानी खिलाड़ियों का प्रतीकात्मक पुतला दहन किया. उन्होंने पत्रकारों से कहा,''यह हमारी उन महिलाओं का घोर अपमान है, जिन्होंने पहलगाम हमले में अपने पतियों को खो दिया, लेकिन फिर भी हमारा केंद्रीय नेतृत्व भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के आयोजन को आगे बढ़ा रहा है. 

बाद में, हिंदी में एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी हमारी विधवाओं का कितना गंदा और घिनौना मज़ाक उड़ाते हैं, और हम उनके साथ क्रिकेट खेलेंगे. भाजपा सरकार को शर्म आनी चाहिए." इसके अलावा कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और एआईएमआईएम के नेताओं ने भी पाकिस्तान के साथ खेलने के फैसले की आलोचना की है.

पीड़ित परिवारों का दर्द, BCCI पर लगाए आरोप

पहलगाम हमले में मारे गए कानपुर के कारोबारी शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने लोगों से मैच का बहिष्कार करने की अपील की. पीटीआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस फैसले को "बेहद असंवेदनशील" बताया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) पर पीड़ित परिवारों की भावनाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "बीसीसीआई के लिए उनकी शहादत का कोई महत्व नहीं है. शायद इसलिए कि उनका कोई अपना नहीं खोया." उन्होंने स्पॉन्सरों और ब्रॉडकास्टरों से पूछा कि मैच की कमाई पाकिस्तान आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होगी. 

शिंदे सेना और एनसीपी का जवाबी हमला

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें मैच का विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. शिंदे सेना के प्रवक्ता और सांसद नरेश म्हस्के ने कहा, "ठाकरे, जिन्होंने सत्ता के लिए हिंदुत्व को त्याग दिया और पाकिस्तान की प्रशंसा करते हैं, अचानक ऐसे मैचों का विरोध नहीं कर सकते. इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार ने कहा कि खेल के संबंध में फैसला उचित मंच पर लिया गया है , लेकिन अलग-अलग राय होना स्वाभाविक है.

पवार ने मीडिया से कहा, "देश की आबादी 140 करोड़ है. इतने विशाल देश में क्रिकेट मैच को लेकर मतभेद होना स्वाभाविक है. कुछ लोगों को लग सकता है कि चूँकि दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं, इसलिए मैच नहीं होना चाहिए. वहीं, कुछ लोग इस खेल का समर्थन भी कर सकते हैं."