प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ईडी का कहना है कि रावत और उनके साथियों ने देहरादून में लगभग 70 करोड़ रुपये मूल्य के दो भूखंडों को हड़पने की साजिश रची.
इस मामले में ईडी ने 20 जनवरी को धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आदेश जारी कर 101 बीघा भूमि को अस्थायी रूप से कुर्क किया है.
अदालत के आदेशों की अवहेलना
ईडी के मुताबिक, अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी और अन्य ने भूखंडों को कब्जाने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) का सहारा लिया. एजेंसी ने दावा किया कि भूखंड को मामूली कीमत पर रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा के नाम पर पंजीकृत कराया गया.
दीप्ति रावत और डीआईएमएस का कनेक्शन
खरीदी गई भूमि अब दून इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (डीआईएमएस) का हिस्सा है, जिसे श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित किया जाता है. ईडी ने आरोप लगाया कि इस ट्रस्ट का नियंत्रण रावत के परिवार और करीबियों के पास है.
कांग्रेस में वापसी
रावत 2022 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर कांग्रेस में लौट आए थे. फिलहाल, उनके खिलाफ चल रहे धन शोधन मामले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है.
कुर्की आदेश और मौजूदा स्थिति
कुर्क की गई भूमि का पंजीकृत मूल्य 6.56 करोड़ रुपये है, जबकि बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है. ईडी का दावा है कि इस संपत्ति को अवैध तरीकों से हस्तांतरित किया गया.