नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से बाहर काम करने वाले बंगाली प्रवासी मजदूरों पर हो रहे हमलों और भेदभाव का मुद्दा उठाया. अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट किया कि 'बांग्लाभाषी होना, बांग्लादेशी होना नहीं है.' इसके बावजूद कई राज्यों में बंगाली बोलने वाले मजदूरों को शक की नजर से देखा जा रहा है और कई बार उनके साथ हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं.
इस दौरान अधीर रंजन ने प्रधानमंत्री को एक पत्र भी सौंपा. इस पत्र के जरिए उन्होंने आरोप लगाया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बंगाली बोलने वाले मजदूरों को 'घुसपैठिया' मानकर परेशान किया जा रहा है. कई मामलों में उन्हें पीटा गया, जेल भेजा गया या डिटेंशन सेंटर में रखा गया.
#WATCH | Delhi | On his letter to PM Modi expressing concern over violence against migrant workers from West Bengal, Congress leader Adhir Ranjan Chowdhury says, "All the state governments in our country should be sensitised to the plight of migrants. In Bengal, it has become a… pic.twitter.com/92gKKJVmkV
— ANI (@ANI) December 30, 2025
अधीर रंजन ने लिखा कि ये मजदूर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और अपनी मेहनत और कौशल से रोजी-रोटी कमा रहे हैं. इसके बावजूद सिर्फ उनकी भाषा के कारण उनके साथ हिंसा, नफरत और उत्पीड़न किया जाना संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है.
अधीर रंजन ने ओडिशा के संबलपुर में हुई एक दर्दनाक घटना का भी जिक्र किया, जिसमें मुर्शिदाबाद के युवक जुएल शेख को सिर्फ इस शक में पीट-पीटकर मार दिया गया कि वह बांग्लादेशी है. उन्होंने इसे बेहद शर्मनाक और दुखद बताया.
मुलाकात के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह एक सामान्य मुलाकात थी, लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने स्पष्ट रूप से अपनी बात रखी. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को देखेंगे. अधीर रंजन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि सभी राज्य सरकारों और पुलिस प्रशासन को संवेदनशील बनाया जाए, ताकि बांग्लाभाषी और बांग्लादेशी के बीच का फर्क समझा जा सके और निर्दोष मजदूरों को परेशान न किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि देश में किसी भी राज्य में काम करने और रहने का अधिकार हर भारतीय का है और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है.
बताया जा रहा है कि अधीर रंजन चौधरी इस मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं. वह न सिर्फ प्रधानमंत्री से मिले हैं, बल्कि हरियाणा का दौरा भी कर चुके हैं. राष्ट्रपति भवन तक गए हैं और कई मुख्यमंत्रियों को पत्र लिख चुके हैं. इसके अलावा सार्वजनिक मंचों से भी प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा की मांग कर चुके हैं. उनका प्रयास है कि देश में काम करने वाले हर बंगाली प्रवासी मजदूर को सुरक्षित वातावरण मिले और उन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित न किया जाए.