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India Daily

तनाव के बीच बांग्लादेश जाएंगे एस जयशंकर, खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में होंगे शामिल

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे

Gyanendra Sharma
तनाव के बीच बांग्लादेश जाएंगे एस जयशंकर, खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में होंगे शामिल
Courtesy: Photo-Social Media

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "ढाका में पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया के निधन की खबर सुनकर गहरा दुख हुआ." 

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री खालिदा जिया देश के उथल-पुथल भरे राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण हस्ती थीं. उनकी बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) ने घोषणा की कि लंबी बीमारी के बाद मंगलवार (30 दिसंबर) की सुबह ढाका के एवरकेयर अस्पताल में उनका निधन हो गया.

कई बीमारियों से जूझ रही थीं खालिदा जिया

वह 80 वर्ष की थीं. जिया जिन्हें नवंबर के अंत से ही लिवर सिरोसिस, हृदय रोग, मधुमेह और फेफड़ों के संक्रमण जैसी जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, का निधन स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 6:00 बजे भोर की नमाज के तुरंत बाद हो गया. उनके बेटे तारिक रहमान, जो हाल ही में 17 साल के निर्वासन से लौटे थे, और परिवार के अन्य सदस्य उनके साथ थे.

देश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है. जिया की अंतिम संस्कार की नमाज (नमाज़-ए-जनाज़ा) बुधवार दोपहर ढाका स्थित राष्ट्रीय संसद के साउथ प्लाजा में अदा की जाएगी, जिसके बाद उनके दिवंगत पति, दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान के बगल में जिया उद्यान में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

खालिदा जिया की राजनीतिक करियर

1945 में जन्मीं खालिदा जिया ने अपने पति जियाउर रहमान की 1981 के सैन्य तख्तापलट में हत्या होने तक अपेक्षाकृत एकांत जीवन व्यतीत किया. नेतृत्व की बागडोर संभालने के बाद, उन्होंने 1984 में बीएनपी की बागडोर संभाली और सैन्य शासक हुसैन मुहम्मद इरशाद के शासन की मुखर विरोधी बन गईं. 1991 में, उन्होंने बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचा और 1996 तक इस पद पर रहीं. 2001 से 2006 तक दूसरे कार्यकाल के लिए उन्होंने चार दलों के गठबंधन का नेतृत्व करते हुए सत्ता में जीत हासिल की.