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INS Arnala: 12 दिन बाद इंडियन नेवी में शामिल होगा चीन-पाक की पनडुब्बियों का किलर, जानें खासियत और ताकत

12,622 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का हिस्सा, ‘अर्णाला’ 55 MSMEs के योगदान से बना है. 8 मई 2025 को नौसेना को सौंपा गया यह युद्धपोत चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों के लिए खतरा बनेगा.  

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Edited By: Sagar Bhardwaj
China-Pakistan submarines killer INS Arnala will soon be a part of Indian Navy

भारतीय नौसेना 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम नौसेना डॉकयार्ड में अपने पहले पनडुब्बी रोधी शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) ‘INS अर्णाला’ को शामिल करेगी. इस समारोह में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान मौजूद रहेंगे. 80% स्वदेशी सामग्री से बना यह युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है और हिंद महासागर में भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाएगा.  
‘INS अर्णाला’ की विशेषताएं
‘अर्णाला’ 16 ASW-SWC जहाजों की श्रृंखला का पहला युद्धपोत है, जिसे कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) और L&T ने मिलकर बनाया है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:  

लंबाई और वजन: 77 मीटर लंबा, 1,490 टन से अधिक.  

इंजन: डीजल और वॉटरजेट प्रोपल्शन का मिश्रण, जो इसे 46 किमी/घंटा की रफ्तार देता है.  

हथियार: RBU-6000 रॉकेट लॉन्चर, 6 हल्के ASW टॉरपीडो, समुद्री बारूदी सुरंगें, और 30 मिमी CRN-91 ऑटोमैटिक नेवल गन, जो प्रति मिनट 550 गोलियां दाग सकती है.  

सेंसर: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), L&T, और महिंद्रा डिफेंस के उन्नत सिस्टम.  

क्षमता: 3300 किमी की रेंज, 7 अधिकारियों समेत 57 नौसैनिकों की तैनाती.
यह जहाज तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाने, नष्ट करने, और खोज-बचाव मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है.

ऐतिहासिक प्रेरणा: अर्णाला किला
‘अर्णाला’ का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास 1737 में मराठा नेता चिमाजी अप्पा द्वारा निर्मित अर्णाला किले से प्रेरित है. जैसे किला उत्तरी कोंकण तट की रक्षा करता था, वैसे ही यह युद्धपोत समुद्र में भारत की सुरक्षा करेगा. इसका बख्तरबंद हल किले की मजबूत दीवारों और हथियार पुरानी तोपों का आधुनिक रूप हैं.  

प्रतीक और डिज़ाइन
‘अर्णाला’ का क्रेस्ट नीले रंग की पृष्ठभूमि पर ऑगर शेल (घोंघे का खोल) दर्शाता है, जो मजबूती और सटीकता का प्रतीक है. इसका नारा “अर्णवे शौर्यम्” (समुद्र में शौर्य) जहाज के साहस को दर्शाता है.  

आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
12,622 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट का हिस्सा, ‘अर्णाला’ 55 MSMEs के योगदान से बना है. 8 मई 2025 को नौसेना को सौंपा गया यह युद्धपोत चीन और पाकिस्तान की पनडुब्बियों के लिए खतरा बनेगा.