नई दिल्ली: भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों की नई रडार इमेज जारी कर वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया है. इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की सतह और उसके नीचे की संरचना का अब तक का सबसे सटीक नक्शा तैयार किया है.
अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (SAC) ने ऑर्बिटर के डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार (DFSAR) से मिले डाटा के आधार पर पहली बार चांद के ध्रुवों का उच्च-रिजॉल्यूशन पोलर मैप तैयार किया है.
DFSAR की मदद से वैज्ञानिकों ने चांद के उत्तर और दक्षिण ध्रुव के 80 से 90 डिग्री अक्षांश क्षेत्र को 25 मीटर प्रति पिक्सल के रिजॉल्यूशन पर मैप किया है. पिछले पांच वर्षों में 1400 से अधिक रडार डेटा सेट एकत्र कर इन्हें उच्च गुणवत्ता वाले पोलर मोजेक में बदला गया. यह तकनीक वैज्ञानिकों को चांद की सतह और सतह के नीचे की संरचना को अभूतपूर्व सटीकता से समझने में मदद कर रही है.
SAC टीम ने स्वदेशी एल्गोरिद्म विकसित किए हैं जो सतह की रफनेस, डेंसिटी और डायलेक्ट्रिक गुणों की जानकारी देते हैं. इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि किन क्षेत्रों में पानी की बर्फ हो सकती है. DFSAR से प्राप्त सर्कुलर पोलराइजेशन रेशियो (CPR) संकेत देता है कि सतह के नीचे बर्फ की परतें मौजूद हैं, जबकि SERD और T-Ratio से मिट्टी की बनावट और विद्युत गुणों का अनुमान लगाया गया.
ISRO has come up with advanced data products from the Chandrayaan-2 lunar orbiter for deeper understanding of the lunar polar regions. These include important parameters describing physical and dielectric properties of the Moon’s surface. This is India’s major value addition… pic.twitter.com/5w2eQ4OVky
— ISRO (@isro) November 8, 2025
इन रडार डेटा सेट्स को लेवल-3C पोलर मोजेक के रूप में जारी किया गया है और अब यह वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए खुले हैं. डेटा से यह भी स्पष्ट हुआ है कि चांद की मिट्टी की डेंसिटी और छिद्रता (porosity) अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न है, जिससे चांद की भौगोलिक संरचना को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है.
इन आंकड़ों से यह अनुमान लगाना संभव होगा कि किन इलाकों में तापीय स्थिरता (thermal stability) है और जहां जल-बर्फ लंबे समय तक टिक सकती है. यह जानकारी भविष्य के चंद्र अभियानों में लैंडिंग साइट चयन और संसाधन उपयोग की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी.
वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद के ध्रुवीय इलाके सौरमंडल की शुरुआती रासायनिक पहचान को संजोए हुए हैं. चंद्रयान-2 के रडार और हाइपरस्पेक्ट्रल डेटा के संयोजन से वैज्ञानिक अब चांद के खनिज वितरण के अधिक सटीक वैश्विक मॉडल तैयार कर पाएंगे. यह खोज भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगी.