महाराष्ट्र न्यूज: पुणे की बहुचर्चित लैंड डील में पार्थ पवार की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. अजित पवार के बेटे की कंपनी Amadea Enterprises LLP को अब 21 करोड़ रुपये का आर्थिक झटका लगा है. दरअसल, कंपनी ने 40 एकड़ सरकारी जमीन का सौदा रद्द करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन रजिस्ट्रार ऑफिस ने कहा कि यह रद्द तभी होगा जब कंपनी पूरी स्टाम्प ड्यूटी और जुर्माना भरे. यह मामला पहले से ही दो एफआईआर के कारण विवादों में घिरा हुआ है.
यह 40 एकड़ जमीन दलितों के लिए आरक्षित ‘महार वतन’ श्रेणी की बताई जा रही है. 1959 में इसे बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया को 15 साल की लीज पर दी गई थी, जिसे 2038 तक बढ़ा दिया गया. आरोप है कि दस्तावेजों में हेराफेरी कर शीतल तेजवाणी ने 272 लोगों की पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल की और Amadea Enterprises LLP से यह जमीन बेच दी. जब सरकारी जमीन की प्रकृति उजागर हुई, तो कंपनी ने सौदा रद्द करने की कोशिश की.
कंपनी ने 500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर कैंसलेशन डीड तैयार कर रजिस्ट्रार ऑफिस में सौदा रद्द करने का आवेदन दिया था. कंपनी ने कहा कि डेटा सेंटर प्रोजेक्ट अब नहीं बनना है, इसलिए सौदा खत्म किया जाए. लेकिन पुणे के सब रजिस्ट्रार ए.पी. फुलारे ने नियमों के तहत कंपनी को 21 करोड़ रुपये स्टाम्प ड्यूटी और जुर्माना भरने का आदेश दिया. नोटिस Amadea Enterprises LLP के पार्टनर दिग्विजय पाटिल को भेजा गया है.
यह जमीन 20 मई 2025 को 300 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी. उस वक्त कंपनी ने राज्य सरकार की 1 फरवरी 2024 की अधिसूचना के तहत स्टाम्प ड्यूटी में छूट ली थी. यह छूट केवल डेटा सेंटर और आईटी प्रोजेक्ट्स पर लागू थी. लेकिन अब जब कंपनी ने प्रोजेक्ट रद्द कर दिया है, तो छूट की शर्त भी खत्म हो गई. इसी वजह से कंपनी को पूरी स्टाम्प ड्यूटी और टैक्स देना होगा.
नोटिस में कहा गया है कि कंपनी ने जो कैंसलेशन डीड जमा की, उसमें स्टाम्प ड्यूटी में गड़बड़ी मिली है. महाराष्ट्र स्टाम्प एक्ट की धारा 25(b)(i) के तहत कंपनी को कुल 7 फीसदी टैक्स - 5% जुर्माना, 1% लोकल इंस्टिट्यूशन टैक्स और 1% मेट्रो टैक्स देना होगा. यह राशि 300 करोड़ के सौदे पर करीब 21 करोड़ रुपये बैठती है. वहीं, अजित पवार पहले ही दावा कर चुके हैं कि पार्थ को जमीन के सरकारी होने की जानकारी नहीं थी.