Champai Soren: झारखंड में नई सरकार बन गई है. JMM के नेता चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके अलावा, कांग्रेस कोटे से आलमगीर आलम और राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है. लेकिन सवाल ये है कि क्या चंपई सोरेन विश्वास मत साबित कर पाएंगे? नई सरकार को 10 दिन में बहुमत साबित करना होगा.
टूट फूट के डर से गठबंधन के विधायकों को हैदराबाद भेज दिया गया. 5 फरवरी तक विधायक वहीं रहेंगे. चंपई सरकार के 40 से अधिक विधायक चार्डट प्लेन से हैदराबाद पहुंच चुके हैं. एयरपोर्ट से उन्हें बस में बैठकर ले जाया गया है. जाते समय बाकायदा एक-एक विधायक को मोबाइल कैमरे में कैद किया गया. विधायकों से रांची में जब पूछा गया कि हैदराबाद क्यों जा रहे हैं तो कहने लगे बिरयानी खाने जा रहे हैं.
झारखंड में चार दलों की गठबंधन सरकार है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद ये लगने लगा कि पार्टी में टूट हो सकती है. इससे बचने के लिए विधायकों को हैदराबाद भेजा गया है. तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है और विधायकों को वहां विश्वास मत तक रखा जाएगा. दरअसल हेमंत ने पहले अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था. पार्टी के कुछ विधायक इससे नाराज थे. इन बागी विधायकों में से एक सीता सोरेन जो कि हेमंत सोरेन की भाभी हैं वो कल ही रांची पहुंची थी और आज वो राजभवन भी गईं थीं.
चंपई सोरेन को डर है कि रांची में विधायकों को तोड़ा जा सकता है. इसलिए बहुमत के परीक्षण तक विधायकों को रांची से दूर रखने का फैसला लिया गया. झारखंड में कुल 81 सीट है. जिसमें से एक सीट खाली है. ऐसे में बहुमत के लिए 41 का आंकड़ा चाहिए. जेएमएम के पास 29, कांग्रेस के 17, आरजेडी और लेफ्ट का 1-1 विधायक है. चंपई सोरेन के साथ 44 विधायकों का समर्थन दिख रहा है, 4 विधायक बागी बताए जा रहे हैं.
कहां से शुरू हुई मामला?
कथित जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. हेमंत ने पहले राजभवन जाकर सीएम पद से इस्तीफा दिया, उसके बाद ईडी के गिरफ्तार करने वाले मैमो पर साइन किए. हेमंत के ईडी कस्टडी में जाने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन में शामिल दलों ने चंपई सोरेन को विधायक दल के नेता के रूप में चुना था.