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India Daily

खालिस्तानियों के प्लान पर फिरा पानी, इधर भारत-कनाडा के बीच हो गई ऐतिहासिक डील, अब आतंक का मिटेगा नामोनिशान

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते की विस्तृत जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन इसे G-7 सम्मेलन के दौरान सार्वजनिक किए जाने की संभावना है. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच बातचीत भी प्रस्तावित है. हालांकि, मोदी की यात्रा पर फिलहाल असमंजस बना हुआ है, विशेष रूप से एयर इंडिया हादसे और ईरान-इजरायल टकराव के चलते.

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Edited By: Reepu Kumari
Canada–India Row
Courtesy: Pinterest

Canada–India Row: भारत और कनाडा के बीच पिछले कुछ सालों से रिश्तों में खटास आई थी. अब चल रहे तनाव में थोड़ी नरमी की उम्मीद लग रही है. 2023 में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद दोनों देशों के रिश्ते बुरी तरह प्रभावित हुए थे. लेकिन अब दोनों देशों ने खुफिया जानकारी साझा करने का एक बड़ा समझौता किया है, जिसे आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध के खिलाफ लड़ाई में बेहद अहम माना जा रहा है. इस समझौते को कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, खासतौर पर भारत के लिए, क्योंकि इससे खालिस्तानी तत्वों पर प्रभावी लगाम लगाने में मदद मिल सकती है.

भारत और कनाडा ने एक महत्वपूर्ण खुफिया समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत दोनों देशों की एजेंसियां आतंकवाद, संगठित अपराध और उग्रवाद से जुड़ी जानकारी साझा करेंगी. इस समझौते से 2023 में पैदा हुए तनाव के बाद संबंध सुधारने की दिशा में मजबूत संकेत मिला है.

G-7 सम्मेलन

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समझौते की विस्तृत जानकारी फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन इसे G-7 सम्मेलन के दौरान सार्वजनिक किए जाने की संभावना है. सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच बातचीत भी प्रस्तावित है. हालांकि, मोदी की यात्रा पर फिलहाल असमंजस बना हुआ है, विशेष रूप से एयर इंडिया हादसे और ईरान-इजरायल टकराव के चलते.

2023 की घटना

2023 की घटना के बाद कनाडा ने भारत पर न्यायेतर हत्या का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था. इसके बाद वीज़ा सेवाएं ठप हो गईं और राजनयिक संबंधों में कटौती की गई. बावजूद इसके, दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां आपस में जुड़ी रहीं और संवाद बना रहा.

सूत्रों के अनुसार, नया समझौता पहले की व्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक व्यापक होगा और शुरुआत में पुलिस बलों के बीच संवाद से शुरू होकर बाद में अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी जोड़ा जाएगा. प्रधानमंत्री कार्नी द्वारा पीएम मोदी को जी-7 में आमंत्रित करना इस दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है.

हालांकि, इस डील को लेकर कनाडा में विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं. वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन और लिबरल पार्टी के कुछ सांसदों ने भारत के साथ इस सहयोग पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद और ट्रांसनेशनल क्राइम से निपटना उनकी प्राथमिकता है.