Law Student Sharmistha Panoli: कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मंगलवार को न्यायमूर्ति पार्थ सारथी मुखर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह 5 जून को केस डायरी अदालत में पेश करे. इसी दिन शर्मिष्ठा की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई की जाएगी.
अदालत ने स्पष्ट किया कि फिलहाल सिर्फ गार्डनरीच थाने में दर्ज मामले की ही जांच की जाएगी. पनौली के खिलाफ दर्ज अन्य सभी प्राथमिकी पर अगली सुनवाई तक स्थगन रहेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया कि 'अब इस मामले को लेकर कोई नई FIR दर्ज न की जाए.'
शर्मिष्ठा पनौली पर आरोप है कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सोशल मीडिया पर ऐसी टिप्पणी की जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं. उनके वकील ने कहा कि 'यह भारत और पाकिस्तान के सोशल मीडिया यूजर्स के बीच आम बहस थी. इसमें पनौली की कोई आपराधिक मंशा नहीं थी.'
वकील ने तर्क दिया कि 'FIR में कहीं यह नहीं बताया गया कि पनौली ने क्या कहा, जो अपराध की श्रेणी में आता हो. शिकायत 15 मई को दर्ज हुई और महज दो दिन में 17 मई को पुलिस ने वारंट हासिल कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.' वकील ने यह भी बताया कि 'परिवार ने शिकायत की थी कि पनौली को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं और विवादास्पद पोस्ट 8 मई को हटा दी गई थी.'
राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने तर्क दिया कि सोशल मीडिया पोस्ट में सिर्फ आपत्तिजनक टेक्स्ट ही नहीं, बल्कि एक आपत्तिजनक वीडियो भी था. इस वजह से पुलिस ने उचित कार्रवाई की. बनर्जी ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई इस मामले में जायज थी और उन्होंने नियमों के अनुसार काम किया. अधिवक्ता का तर्क था कि पोस्ट की सामग्री गंभीर थी और पुलिस को कार्रवाई करनी ही थी. इसलिए गिरफ्तारी को चुनौती नहीं दी जा सकती.