बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने आज यानि रविवार (5 जनवरी) को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. जिसमें कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354-D के तहत, लड़की का एक बार पीछा करना स्टॉकिंग के अपराध के रूप में नहीं आता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) से प्रतिस्थापित नहीं किया गया था, जब यह मामला दायर किया गया था. न्यायमूर्ति गोविंद सनप ने यह निर्णय 5 दिसंबर, 2024 को सुनाया. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्टॉकिंग के अपराध को स्थापित करने के लिए बार-बार या लगातार व्यवहार की आवश्यकता होती है.
न्यायमूर्ति गोविंद सनप ने कहा जो दो व्यक्तियों द्वारा आईपीसी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) के तहत कई अपराधों के लिए उनकी दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली अलग-अलग अपीलों के जवाब में दिया गया था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनकी अपील कोबरकरार रखा और उन्हें कुछ आरोपों से बरी कर दिया, जबकि अन्य मामलों में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा.
जानिए मामला क्या था?
महाराष्ट्र के अकोला से 14 वर्षीय लड़की ने आरोप लगाया कि दो आरोपी कई महीनों तक उसका उत्पीड़न करते रहे. अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि लड़की की छोटी बहन ने एक आरोपी को उसके घर में घुसते हुए देखा था. आरोपी ने लड़की के साथ छेड़खानी की और उसे धमकी दी कि वह किसी को यह न बताए. इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (इज्जत को ठेस पहुंचाना), 354-D (स्टॉकिंग), 452 (घर में घुसकर हमला करने की तैयारी), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया था. साथ ही POCSO एक्ट की धारा 7 और 11 के तहत भी सजा सुनाई थी. उन्हें तीन से सात साल तक की कठोर सजा दी गई थी.
बॉम्बे हाई कोर्ट का क्या है फैसला?
न्यायमूर्ति सनप ने कहा, "अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने बार-बार या लगातार पीड़िता का पीछा किया. एक बार का पीछा करना अपराध नहीं बनाता है. इस मामले में एक आरोपी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया, जबकि दूसरे आरोपी को IPC की धारा 354-A (यौन उत्पीड़न) और POCSO एक्ट की धारा 7 (यौन हमलावर) के तहत दोषी ठहराया गया, क्योंकि कोर्ट ने उसे लड़की के साथ यौन उत्पीड़न करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य पाया.
हालांकि, आरोपों में से धारा 354-D (स्टॉकिंग), 452 (घर में घुसकर हमला करने की तैयारी), और 506 (आपराधिक धमकी) को हटा दिया गया. दूसरे आरोपी की सजा घटाकर 2 साल 6 महीने कर दी गई, जो वह पहले ही काट चुका था, और उसका जुर्माना भी कम कर दिया गया.