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न संगी न साथी, महाराष्ट्र में एकला चलो की राह अपनाए BJP, आंतरिक सर्वे में मिल रहे सुझाव, वजह क्या है?

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद से बीजेपी महाराष्ट्र में खलबली मची हुई है. नीतीजों के बाद पार्टी इंटरनल सर्वे करा रही है. ये जानने की कोशिश है कि आगामी विधानसभा में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन में भाजपा कैसा प्रदर्शन करेगी? आरएसएस ने इस गठबंधन को लेकर कई सवाल उठाए हैं.

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Edited By: India Daily Live
Maharshtra News
Courtesy: Social Media

बीजेपी को लोकसभा के चुनाव में महाराष्ट्र ने झटका दिया. नतीजों के बाद बीजेपी इंटरनल सर्वे करा रही है. सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की संभावनाओं का आकलन करने के लिए एक आंतरिक सर्वे कर रही है. यह सर्वे लोकसभा चुनावों में अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर किए गए निराशाजनक प्रदर्शन के बाद किया गया है. दरअसल, आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने बीजेपी के अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन करने के कदम पर सवाल उठाया है. 

सूत्रों ने कहा कि भाजपा, जिसने 28 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था उसमें केवल 9 पर जीत हासिल की है. हालांकि,   इस साल सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 'छोड़ने' का अभी तक मन नहीं बनाया है. आम चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद महाराष्ट्र में महायुति सरकार में "बड़े भाई" की भूमिका निभा रही भाजपा ने राज्य के उन 106 विधानसभा क्षेत्रों में एक आंतरिक सर्वेक्षण शुरू किया है. इन सीटों पर बीजेपो को 2019 के चुनाव में जीत मिली थी. 

अगर बीजेपी पार्टी विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय लेती है तो जमीनी हकीकत का अध्ययन करने के लिए जल्द ही शेष 182 विधानसभा क्षेत्रों में भी इसी प्रकार के सर्वेक्षण शुरू किए जाएंगे. भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि ये सर्वे यह जानने के लिए शुरू किए गए हैं कि पार्टी अकेले कैसे बहुमत हासिल करेगी. इसके अलावा, सर्वे यह भी दिखाएगा कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन में भाजपा कैसा प्रदर्शन करेगी? जनता इस गठबंधन से खुश है कि नहीं?

आरएसएस पत्रिका द ऑर्गनाइजर के लेख की चर्चा

सूत्रों ने बताया कि ये सर्वे आरएसएस पत्रिका द ऑर्गनाइजर द्वारा यह सुझाव दिए जाने से काफी पहले शुरू किए गए थे कि अजित पवार को एनडीए में शामिल करने के भाजपा के कदम से पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ा है. आरएसएस के वरिष्ठ नेता रतन शारदा ने द ऑर्गनाइजर में प्रकाशित एक लेख में लिखा, महाराष्ट्र अनावश्यक राजनीति और टाले जा सकने वाले हेरफेर का एक प्रमुख उदाहरण है. रतन शारदा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, शरद पवार दो-तीन साल में लुप्त हो जाते, क्योंकि एनसीपी आपसी कलह के कारण अपनी ऊर्जा खो चुकी होती... बीजेपी द्वारा यह गलत कदम क्यों उठाया गया?

इस बीच, महाराष्ट्र भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि  ऑर्गेनाइजर स्वतंत्र विचारों की पत्रिका है. भाजपा हर अखबार के संपादकीय का सम्मान करती है. भाजपा हर जीत और हार के बाद मंथन करती है और उसके आधार पर पार्टी आगे की रणनीति तय करती है. हालांकि, उन्होंने विधानसभा चुनाव में भाजपा के राकांपा से अलग होने की संभावना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

प्रफुल्ल पटेल ने क्या कहा?

दूसरी ओर, एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि यह लेख भाजपा का आधिकारिक रुख नहीं है. इसके किसी भी पदाधिकारी ने कोई बयान नहीं दिया है. यह एक व्यक्तिगत विचार है. हर एक बात पर हमें स्पष्टीकरण या प्रतिक्रिया की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, कुछ मुद्दे लोग अपनी क्षमता के अनुसार उठा सकते हैं, लेकिन इससे गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ता. हमारा गठबंधन यहां बना रहेगा और अगला चुनाव जीतेगा.

23 से 9 सीटों पर आ गई भाजपा

लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने सरकार से इस्तीफा देने की घोषणा की थी, लेकिन अमित शाह के कहने पर उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया. फडणवीस ने कहा था कि हमारे गठबंधन को 43.6 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि महा विकास अघाड़ी को 43.9 प्रतिशत वोट मिले हैं. फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी ने 11 सीटों पर 1 से 5 प्रतिशत वोटों से हार का सामना किया है, जिसे आगामी विधानसभा चुनावों में सुधारा जा सकता है. 2019 के आम चुनावों में भाजपा की सीटें 23 थीं, जो घटकर 9 रह गईं.