Ayodhya ke Ram: अयोध्या राम मंदिर के लिए करीब 500 सालों तक जारी संघर्ष के बाद साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और 5 अगस्त 2020.... ये वही तारिख है जो राम मंदिर के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया था.
1528 में राम मंदिर को लेकर संघर्ष शुरू हुआ था और अब 22 जनवरी 2024 में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन होना है. अयोध्या राम मंदिर का मामला सबसे लंबे समय तक चलने वाला केस रहा है. आइए एक नजर डालते हैं कि कब इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई थी और अब तक के इतिहास में क्या-क्या हुआ है.
1528
साल 1528 में बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने एक मस्जिद का निर्माण कराया था. इस निर्माण को लेकर हिंदू समुदाय का दावा था कि मस्जिद की जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और वहां प्राचीन मंदिर था.
1853-1949
साल 1853 में यहां पहली बार दंगे हुए थे. इस दंगे के बाद साल 1859 में विवादित जगह के आसपास बाड़े बंदी की गई थी. इसके बाद ढांचे के अंदर मुसलमानों को तो वहीं हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत मिली थी.
1949
23 दिसंबर 1949 को मस्जिद में भगवान राम की मूर्तियां मिली थी. हिंदुओं ने यह दावा किया था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं. वहीं, मुसलमानों का आरोप था कि किसी ने रात के समय में वहां मूर्तियां रखी है. इसके बाद यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने के आदेश दिए. हालांकि डीएम केके नायर ने दंगे होने के डर से आदेश को पूरा नहीं किया और फिर सरकार ने इसे विवादित ढांचा कहते हुए वहां ताला लगवा दिया.
1950
साल 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई. एक अर्जी में पूजा की इजाजत तो वहीं दूसरे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई.
1961
साल 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से याचिका दायर करके विवादित जगह से मूर्तियां हटाने की मांग की गई थी.
1984
साल 1984 में इस विवादित ढांचे की जगह राम मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया था.
1986
साल 1986 में 1 फरवरी को यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज ने हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दी और विवादित ढांचे से ताला हटाने के लिए कहा था.
1992
6 दिसंबर 1992 को VHP, शिवसेना समेत कई हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया, जिसके बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
2002
साल 2002 में हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही एक ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई. इसमें 58 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद गुजरात में दंगे हुए और 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे.
2010
इसके बाद साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जगह को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 हिस्सों में बांटने के आदेश दिए थे.
2011
इसके बाद 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी.
2017
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया.
2019
इसके बाद साल 2019 में 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा और पैनल को 8 सप्ताह में कार्यवाही खत्म करने के निर्देश दिए.
2019
8 मार्च को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की. इसके बाद 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा. इसके बाद 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम मंदिर मामले में रोजाना सुनवाई शुरू हुई.
16 अक्टूबर 2019
16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई खत्म हुई और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
9 नवंबर 2019
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इस मामले में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को दी गई और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने के आदेश दिए गए थे.
25 मार्च 2020
इसके बाद 25 मार्च 2020 को रामलला को टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट किया गया था.
5 अगस्त 2020
इन दिन राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम किया गया.