दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इंडिया गठबंधन में अलग-थलग हो चुकी है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग कर दिखाया है. ऐसा आम आदमी पार्टी ने ऐलान करके किया है. 26 दिसंबर को राज्यसभा सांसद संजय सिंह और मुख्यमंत्री आतिशी ने प्रेस कान्फ्रेन्स कर कांग्रेस को अल्टीमेटम दिया था कि
कांग्रेस अपने नेता अजय माकन पर इस बात के लिए कार्रवाई करे कि उन्होंने अरविन्द केजरीवाल को राष्ट्र विरोधी कहा. 24 घंटे के भीतर ऐसा नहीं होता है तो वह इंडिया गठबंधन के नेताओं से मांग करेंगे कि कांग्रेस को गठबंधन से हटाएं.बमुश्किल दो हफ्ते बीते होंगे कि नतीजे सामने आ गये. तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दी.
राष्ट्रीय स्तर पर न सही, दिल्ली के स्तर पर कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग-थलग करने में आम आदमी पार्टी कामयाब हो गयी है. जिस समाजवादी पार्टी के लिए कांग्रेस ने हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव के लिए यूपी में सभी नौ सीटों पर समर्थन दिया था, उसी समाजवादी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से किनारा कर लिया. शिवसेना (उद्धव) का फैसला भी कांग्रेस के लिए चौंकाने वाला है.इतना ही नहीं कांग्रेस के भीतर से भी आवाज उठने लगी है. महाराष्ट्र के बड़े कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चौहान ने आम आदमी पार्टी की जीत की भविष्यवाणी कर दी है.
इंडिया गठबंधन का मतलब बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का मंच
ऐसा भी नहीं है कि समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस या शिवसेना उद्धव ठाकरे का दिल्ली में अपना कोई जनाधार हो कि वह सीधे तौर पर चुनाव को प्रभावित करता हो, लेकिन दिल्ली में इंडिया गठबंधन का अपना वोट बैंक है. इंडिया गठबंधन का मतलब बीजेपी को परास्त करने वाली शक्ति. इंडिया गठबंधन यानी एक ऐसा मंच जो बीजेपी की सियासत को चुनौती देने के लिए बना है. इंडिया गठबंधन का नाम आते ही बीजेपी विरोधी वोटों का ध्रुवीकरण शुरू हो जाता है. दिल्ली में यह ध्रुवीकरण आम आदमी पार्टी के पक्ष में हो, इस लिहाज से सपा, टीएमसी और शिवसेना उद्धव के समर्थन का बहुत महत्व है.
कांग्रेस को 2 विधानसभा चुनावों में एक सीट भी नहीं
कांग्रेस दिल्ली विधानसभा का चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का नैरेटिव फैला रही थी, अब सकते में है. इंडिया गठबंधन के बिना कांग्रेस एक बार फिर से वहीं पहुंच गयी है जहां बीते विधानसभा चुनावों में थी. कांग्रेस को दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव से एक भी सीट नहीं मिल सकी है. कह सकते हैं कि आम आदमी पार्टी ने बिना चुनाव लड़े कांग्रेस को दिल्ली के चुनावी दौड़ से बाहर कर दिया है. अब आम आदमी पार्टी हमलावर है और कांग्रेस पर बीजेपी से मिलकर आम आदमी पार्टी को चुनाव हराने का आरोप लगा रही है.
कांग्रेस की क्यों बड़ी मुश्किलें
कांग्रेस के लिए मुश्किल यह है कि वह इंडिया गठबंधन के घटक दलों के टीएमसी, सपा और शिवसेना उद्धव के खिलाफ एक शब्द नहीं हो बोल सकती है जबकि इन सभी दलों के नेता टीवी चैनल पर कांग्रेस के खिलाफ और आम आदमी पार्टी के समर्थन में खुलकर बोलने लगे हैं. आम आदमी पार्टी को समर्थन देने वाले इंडिया गठबंधन के गैर कांग्रेसी दलों का सीधे तौर पर कहना है कि दिल्ली में गैर बीजेपी सरकार है. खास तौर से यह इंडिया गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी की सरकार है तो इस सरकार को दोबारा सत्ता में लाने को ही गठबंधन धर्म समझते हैं. दबी जुबान से वे कांग्रेस को दिल्ली में गठबंधन धर्म के खिलाफ आचरण दिखाने वाली पार्टी बता रहे हैं.
कांग्रेस खेमा उदास
कांग्रेस खेमे में उदासी है. अजय माकन घोषणा करके भी अपनी प्रेस कॉन्फ्रेन्स नहीं कर पाए. वे अरविन्द केजरीवाल के बारे में कथित तौर पर बड़ा खुलासा करने वाले थे. प्रेस कॉन्फ्रेन्स रद्द होने के बाद आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस पर बड़ा हमला भी हुआ कि कांग्रेस और बीजेपी मं मिलीभगत है. इससे भी कांग्रेस के लिए ‘काटो तो खून नहीं’ वाली स्थिति बन गयी दिखती है.
अंदरखाने की खबर यही है कि प्रेस कान्फ्रेन्स रोकने के लिए राहुल गांधी को डीएमके प्रमुख स्टालिन से फोन करवाया गया. कांग्रेस पर इंडिया गठबंधन की ओर से यह सबसे बड़ा दबाव कह सकते हैं जिसके आगे कांग्रेस झुक गई. इस घटना के बाद कांग्रेस के उन तमाम दिग्गजों के हौंसले पस्त हो गये हैं जिन्होंने जोर-शोर से चुनाव लड़ने और पार्टी को शून्य की स्थिति से बाहर लाने की मुहिम चलाई थी.
इंडिया गठबंधन का मतलब आप की जीत पक्की
इंडिया गठबंधन के समर्थन का अर्थ है कि आम आदमी पार्टी को दलित, मुस्लिम और पिछड़े तबके के वोट बिना बंटे मिलेंगे. दलित और मुस्लिम कम से कम 26 सीटों पर सीथे चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं. अगर ये वोट बंटते तो आम आदमी पार्टी की संभावना को नुकसान पहुंचता. अब इन सीटों पर आम आदमी पार्टी पहले से ज्यादा मजबूत हो गयी लगती है. आम आदमी पार्टी के लिए यह सुनिश्चित होने के बाद कि दलित और मुस्लिम व अन्य इंडिया गठबंधन के वोट उनके साथ हैं अब बीजेपी से निपटना आसान हो गया है.
दो ध्रुवीय हुआ चुनाव
दिल्ली में बीजेपी से सीधे दो-दो हाथ करती आम आदमी पार्टी दिखने लगी है. नरेंद्र मोदी के ‘राजमहल’ और मोदी के ऐश्वर्य जीवन को सार्वजनिक करने की जो मुहिम आम आदमी पार्टी ने छेड़ी उससे इंडिया गठबंधन के सभी दल (कांग्रेस भी मना नहीं कर सकती) प्रसन्न हैं. आम आदमी पार्टी ने हिन्दुत्व के आधार पर वोटों में सेंधमारी की बीजेपी की कोशिशों को भी पलीता लगाया है. जिस तरीके से बीजेपी के पार्टी दफ्तर का उद्घाटन कराने वाले पुजारी पंडों से आम आदमी पार्टी के पक्ष में चुनाव प्रचार करवाया है. पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान देने के मुद्दे को भुनाया है उससे बीजेपी के हौंसले भी पस्त नजर आते हैं.
दिल्ली का चुनाव त्रिकोणीय नहीं रहा
इंडिया गठबंधन का पर्याय बन जाने से आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस को शस्त्रविहीन कर दिया है और बीजेपी के खिलाफ एक योद्धा के तौर पर वह पेश हुई है. कह सकते हैं कि दिल्ली का चुनाव अब त्रिकोणीय नहीं दो ध्रुवीय हो गया है और इसमें आम आदमी का पलड़ा भारी ही नहीं बहुत भारी हो चुका है. बीजेपी की उस उम्मीद को भारी चोट पहुंची है जिसमें कांग्रेस के उभरने से त्रिकोणीय संघर्ष में वह अपने लिए सत्ता का रास्ता खुलता देख रही थी. वास्तव में उस रास्ते को ही आम आदमी पार्टी ने बंद कर दिया है.
रंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार