भारतीय रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने तीनों सेनाओं के लिए कुल दस प्रमुख सैन्य अधिग्रहण प्रस्तावों को मंज़ूरी दे दी है. इन प्रस्तावों को ‘Buy (Indian-IDDM)’ श्रेणी के तहत मंजूरी मिली है. इससे ये साफ होता है कि सभी सौदे भारतीय कंपनियों से किए जाएंगे. इस कदम का उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देना है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन प्रस्तावों में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की ज़रूरतों के मुताबिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Surface-to-Air Missiles) शामिल है, जो दुश्मन के हवाई हमलों का प्रभावी जवाब देने में सक्षम होगी. इसके साथ ही सेना के लिए बख्तरबंद रिकवरी वाहन (Armoured Recovery Vehicles) भी खरीदे जाएंगे, जो युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त टैंकों और अन्य सैन्य वाहनों को सुरक्षित स्थान तक खींचने में मदद करेंगे.
तीनों सेनाओं के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की खरीद भी इस प्रस्ताव का हिस्सा है. यह सिस्टम दुश्मन की संचार व्यवस्था को बाधित करने और अपनी सेना के रेडियो, रडार एवं अन्य उपकरणों को सुरक्षित रखने में मदद करता है. यह तकनीक युद्ध के मैदान में रणनीतिक बढ़त देने के लिए अहम मानी जाती है. इन सभी उपकरणों की आपूर्ति देश के भीतर ही तैयार करने पर ज़ोर दिया जाएगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी अधिग्रहण प्रस्ताव 'भारतीय-आईडीडीएम' (Indian-IDDM) श्रेणी के तहत होंगे. इसका अर्थ है कि इन उपकरणों को देश के भीतर ही डिजाइन, विकसित और निर्माण किया जाएगा. इससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी और विदेशी आयात पर निर्भरता घटेगी. सरकार के इस कदम से भारतीय उद्योग जगत को भी बड़े पैमाने पर रोज़गार और तकनीकी विकास के अवसर मिलेंगे.