ट्रेनी IAS पूजा खेडकर के UPSC में चयन के फर्जीवाड़े की पूरी एक फेहरिस्त है. जांच से हर दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं. UPSC की जांच में खुलासा हुआ है कि विकलांगता सार्टीफीकेट के फर्जीवाड़े से लेकर माता-पिता के नाम और पते तक में धाखाधड़ी करके फायदा लिया. अब दिल्ली पुलिस उनके ओबीसी सर्टिफिकेट की जांच कर रही है.
पूजा खेडकर को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में उनकी उम्मीदवारी क्यों न रद्द कर दी जाए. दिल्ली क्राइम ब्रांच यह भी जांच करेगी कि खेडकर ने 'घुमंतू जनजाति-3' श्रेणी में आरक्षण का लाभ उठाकर पुणे के काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट कैसे हासिल की. यूपीएससी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने पूजा पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 464 (काल्पनिक व्यक्ति के नाम पर दस्तावेज बनाना), 465 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में पेश करना) लगाई है. इसके अलावा उन पर विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा 89 और 91 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत भी आरोप हैं.
यूपीएससी ने कहा, यूपीएससी ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामलों की गहन जांच कर रही है. उसने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपना ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर धोखाधड़ी की है. 2021 में खेडकर ने मुख्य परीक्षा पास कर ली और उसे एम्स में मेडिकल टेस्ट देना था, जिसमें वह कथित तौर पर विकलांगता का नाटक करते हुए पकड़े जाने से बचने के लिए भाग गई थी. यूपीएससी की शिकायत का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने कहा अगले साल वह फिर से फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग करके परीक्षा में बैठी. परिणाम आने से पहले ही, उसने यूपीएससी 2023 के लिए आवेदन कर दिया.
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि खेडकर ने अपने माता-पिता दिलीप और मनोरमा खेडकर को अलग-अलग दिखाया, ताकि उनकी संपत्ति को अलग किया जा सके और वह फर्जी आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कर सके. मनोरमा को गुरुवार को एक अलग आपराधिक मामले में गिरफ्तार किया गया था. एक अधिकारी ने कहा कि खेडकर की उम्मीदवारी के मामले में प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा की जा रही जांच पटरी पर है और रिपोर्ट दो सप्ताह में तैयार हो जानी चाहिए.