menu-icon
India Daily

तुर्की से पुणे के व्यापारी ले रहे भारत का बदला, पाकिस्तान की मदद करने वाले मुस्लिम देश के सेबों पर लगाया बैन

भारत और पाकिस्तान के हालिया तनाव के बीच तुर्की के मुखर समर्थन के बाद ने देशभर में विशेष रूप से पुणे में, 'तुर्की पर बैन' आंदोलन को जन्म दे दिया. इस आंदोलन के तहत स्थानीय व्यापारियों ने तुर्की से आये सेबों का पूरी तरह से बहिष्कार शुरू कर दिया है.

auth-image
Edited By: Garima Singh
Boycott Turkish Apples
Courtesy: X

Boycott Turkish Apples: भारत और पाकिस्तान के हालिया तनाव के बीच तुर्की के मुखर समर्थन के बाद ने देशभर में विशेष रूप से पुणे में, 'तुर्की पर बैन' आंदोलन को जन्म दे दिया. इस आंदोलन के तहत स्थानीय व्यापारियों ने तुर्की से आये सेबों का पूरी तरह से बहिष्कार शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पुणे के बाजारों से तुर्की सेब लगभग गायब हो गए हैं. 

पुणे के फल बाजारों में तुर्की सेबों का बहिष्कार तेजी से प्रभावी हो रहा है. सामान्य तौर पर, तुर्की सेबों से मौसमी कारोबार 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये तक होता है, लेकिन इस बहिष्कार से इस व्यापार पर गहरा असर पड़ने की संभावना है. पुणे की कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) के सेब व्यापारी सुयोग ज़ेंडे ने इस बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने तुर्की से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है और इसके बजाय हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीदने का विकल्प चुन रहे हैं.

उपभोक्ताओं का समर्थन और मांग में कमी

यह आंदोलन केवल व्यापारियों तक सीमित नहीं है, उपभोक्ता भी इस बहिष्कार में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं. एक स्थानीय व्यापारी ने बताया कि तुर्की सेबों की मांग में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. उन्होंने कहा, "ग्राहक सक्रिय रूप से तुर्की उत्पादों से परहेज कर रहे हैं, जिससे खुदरा स्तर पर प्रतिबंध मजबूत हो रहा है।" पुणे के निवासियों ने भी इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया है। एक ग्राहक ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे पास चुनने के लिए सेब की बहुत सी किस्में हैं, तो हम ऐसे देश से क्यों खरीदें जिसने हमारे खिलाफ पक्षपात किया है? सरकार को हाल ही में हुए आतंकी हमलों को देखते हुए संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भी कदम उठाने चाहिए।"

भारत विरोधी होनेके चलते बैन की उठी मांग 

तुर्की के भारत विरोधी रुख के कारण देशभर में उसकी आलोचना हो रही है. पुणे के व्यापारी और उपभोक्ता तुर्की उत्पादों को अस्वीकार कर हिमाचल, उत्तराखंड और अन्य क्षेत्रों के सेबों को प्राथमिकता दे रहे हैं.