अमरनाथ यात्रा पर दिखा पहलगाम आतंकी हमले का असर, तीर्थयात्रियों की संख्या 10.19% घटी
3 जुलाई से शुरू होने वाली और 9 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को बताया कि इस साल अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण में पिछले वर्ष की तुलना में 10.19% की कमी दर्ज की गई है. यह गिरावट पहलगाम के बैसरन में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद आई, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी.
पंजीकरण में कमी और विश्वास की बहाली
उपराज्यपाल ने राजभवन में संवाददाताओं से कहा, “22 अप्रैल की घटना से पहले तीर्थयात्रियों का पंजीकरण अच्छा चल रहा था, लेकिन इसके बाद इसमें 10.19% की कमी आई.” उन्होंने बताया कि हमले से पहले 2.36 लाख श्रद्धालुओं ने पंजीकरण कराया था, और 22 अप्रैल से पहले पंजीकरण कराने वालों से पुनः सत्यापन कराया गया, जिसमें 85,000 से अधिक लोगों ने यात्रा में भाग लेने की पुष्टि की. सिन्हा ने कहा, “जम्मू-कश्मीर प्रशासन और सुरक्षाबलों के कदमों से तीर्थयात्रियों का विश्वास लौटा है, और पंजीकरण फिर से बढ़ रहा है.”
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
3 जुलाई से शुरू होने वाली और 9 अगस्त तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है. सिन्हा ने बताया, “बेस कैंपों पर तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था है, और सुरक्षाबल क्षेत्र पर हावी होने के लिए अभ्यास और मॉक ड्रिल कर रहे हैं. अतिरिक्त पुलिस और CAPF कर्मियों को तैनात किया गया है, और सभी सेवा प्रदाताओं का सत्यापन पूरा हो चुका है.” निजी वाहनों से यात्रा करने वालों को जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से आधिकारिक काफिले के साथ समन्वय में चलने की सलाह दी गई है.
हेलीकॉप्टर सेवाओं पर रोक
सिन्हा ने बताया कि हाल के हेलीकॉप्टर हादसों और सुरक्षा चिंताओं के कारण इस साल हेलीकॉप्टर सेवाएं निलंबित हैं. उन्होंने कहा, “केवल 8% तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर का उपयोग करते थे, इसलिए इसका प्रभाव सीमित है.”
यात्रा मार्ग में सुधार
पिछले तीन वर्षों में यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सिन्हा ने कहा, “पहले चार फीट चौड़े और असमान मार्ग से असुविधा होती थी. अब इसे 12 फीट तक चौड़ा किया गया है, और कमजोर स्थानों पर बैरियर लगाए गए हैं.” आपात स्थिति में गुफा तक मोटर योग्य मार्ग भी तैयार है.