Bangladesh Hindu Violence :बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार और दमन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. इस बीच रविवार (8 दिसंबर) को नवी मुंबई में हिंदू समाज के द्वारा बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं पर अत्याचारों के खिलाफ एक विशाल विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया. इस विरोध में हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए, जिन्होंने बांग्लादेश सरकार के खिलाफ कड़ा विरोध जताया और वहां के हालात पर चिंता जताई.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस्कॉन के प्रतिनिधि अद्वैत चैतन्य महाराज ने इस प्रदर्शन में भाग लेते हुए कहा कि "सहिष्णुता आज हिंदुओं की सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है. उन्होंने आगे कहा, "वह बांग्लादेश, जिसके लिए कभी हिंदुओं ने संघर्ष किया था, आज वहां हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं. चैतन्य महाराज का कहना है कि अब समय आ गया है जब सभी हिंदू एकजुट होकर इन अत्याचारों के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठाएं. उन्होंने कहा, "पूरे देश में करीब 100 करोड़ हिंदू हैं और ऐसे में आधे भी सड़क पर उतर आएं तो दुनिया को हिंदुओं की ताकत का पता चल जाएगा.
Navi Mumbai: Advait Chaitanya Maharaj, ISKCON representative, says, "...Tolerance has become the greatest weakness of Hindus today. The same Bangladesh, for which Hindus once struggled, is now witnessing atrocities against them... It is now necessary for all Hindus to come… pic.twitter.com/4IenapvwHb
— IANS (@ians_india) December 8, 2024
स्वामी दीपांकर महाराज का संदेश - 'न तो हिंदू बंटेगा, न ही हिंदू कटेगा'
हालांकि, इससे पहले, आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर महाराज ने सहारनपुर में एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि "जब साथ खड़े होने का समय हो और आपको काम याद आ जाए तो समझ लेना आपका धर्म संकट में है. उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर कहा कि सहारनपुर का हिंदू समाज एकजुट हो रहा है और मैसेज दे रहा है कि "न तो हिंदू बंटेगा और न ही हिंदू कटेगा.
बांग्लादेशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की
प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान बांग्लादेश सरकार के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुओं के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की निंदा की. उन्होंने भारतीय सरकार से बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की मांग की. इस दौरान प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और उनके आक्रोश ने इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाने की जरूरतों को स्पष्ट किया.