Mehul Choksi Extradition: चोकसी की गिरफ्तारी में नया मोड़, 125 साल पुराने कानून ने निभाई भूमिका; जानें पूरी इनसाइड स्टोरी
Mehul Choksi Extradition: इस संधि पर पहली बार 29 अक्टूबर 1901 को ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें बाद में 1907, 1911 और 1958 में संशोधन किए गए.

Mehul Choksi Extradition: पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी और फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आखिरकार सात साल की कोशिशों के बाद बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया. बताया जा रहा है कि वह मेडिकल वजह बताकर स्विट्जरलैंड भागने की कोशिश में था, तभी सीबीआई और ईडी जैसी भारतीय जांच एजेंसियों की अपील पर बेल्जियम पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया.
भारत-बेल्जियम की 125 साल पुरानी संधि बनी सहारा
बता दें कि भारत ने चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए जो कानूनी रास्ता अपनाया है, वो 125 साल पुरानी भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि पर टिका है. यह संधि सबसे पहले 1901 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी और बाद में इसमें कई बार संशोधन हुआ. 1954 में भारत की स्वतंत्रता के बाद दोनों देशों ने इसे जारी रखने का फैसला किया.
क्या कहती है ये संधि?
- इस संधि के तहत अगर कोई व्यक्ति दोनों देशों में दंडनीय अपराध करता है, तो उसे प्रत्यर्पित किया जा सकता है. इसमें हत्या, धोखाधड़ी, जबरन वसूली, मनी लॉन्ड्रिंग, बलात्कार जैसे अपराध शामिल हैं.
- प्रत्यर्पण के लिए 'दोहरी आपराधिकता' अनिवार्य शर्त है, यानी जिस अपराध के लिए आरोपी को भारत बुलाना है, वह बेल्जियम में भी अपराध माना जाए.
CBI ने किन धाराओं में किया प्रत्यर्पण का अनुरोध
हालांकि, CBI ने आईपीसी की धारा 120B, 201, 409, 420, 477A और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत चोकसी के खिलाफ औपचारिक अनुरोध भेजा है. एक अधिकारी ने बताया, ''बेल्जियम सरकार ने हमारे सबूतों से संतुष्टि जताई और माना कि ये उनके देश में भी अपराध हैं.''
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