'21वीं सदी हमारी सदी है', 47वें आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया दमदार वर्चुअल भाषण
मलेशिया में आयोजित 47वें आसियान शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल रूप से शिरकत की और अपने दमदार भाषण से समां बांध दिया. उन्होंने 21वीं सदी को आसियान देशों की सदी बताया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मलेशिया में आयोजित 47वें आसियान शिखर सम्मेलन 2025 (ASEAN Summit) में वर्चुअल रूप से भाग लेते हुए एक प्रभावशाली संबोधन दिया. अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 21वीं सदी भारत और आसियान देशों की सदी है और दोनों क्षेत्र मिलकर एक साझा, समावेशी और टिकाऊ भविष्य का निर्माण करेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 21वीं सदी हमारी सदी है. यह भारत और आसियान की सदी है. उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि आसियान भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का एक प्रमुख स्तंभ है. मोदी ने आपदा प्रतिक्रिया, समुद्री सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग का उल्लेख किया और घोषणा की कि वर्ष 2026 को “आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष” के रूप में मनाया जाएगा.
मलेशिया वर्ष 2025 के लिए आसियान का अध्यक्ष है
इससे पहले, गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से बातचीत की थी. उन्होंने X पर लिखा, 'मेरे प्रिय मित्र, मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ गर्मजोशी से बातचीत हुई. मलेशिया की आसियान अध्यक्षता के लिए उन्हें बधाई दी और आगामी शिखर सम्मेलनों की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं.' गौरतलब है कि मलेशिया वर्ष 2025 के लिए आसियान का अध्यक्ष है, जबकि फिलीपींस 2026 में अध्यक्षता संभालेगा.
भारत और आसियान के बीच संबंध 1992 में क्षेत्रीय संवाद भागीदार के रूप में शुरू हुए थे और 1995 में भारत संवाद भागीदार बना. 2014 से लेकर अब तक लगभग सभी आसियान-भारत शिखर सम्मेलनों में प्रधानमंत्री मोदी शामिल रहे हैं.
विशेष रूप से, जनवरी 2018 में नई दिल्ली में आयोजित 25वें वर्षगांठ शिखर सम्मेलन में सभी 10 आसियान देशों के नेताओं ने भाग लिया था और 69वें गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि के रूप में भारत की ऐतिहासिक मेजबानी का हिस्सा बने थे.
क्या है आसियान?
आसियान यानी असोसिएशन ऑफ़ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच आर्थिक, सुरक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था. यह संगठन एशिया की तीसरी और दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर चुका है.