दिल्ली के एक NGO सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) ने दावा किया है कि 15 नवंबर 2024 से 10 जनवरी 2025 के बीच राजधानी में 474 बेघर लोगों की मौत ठंड और बुनियादी सुरक्षा उपायों की कमी के कारण हुई है.
हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एनजीओ ने इसे गंभीर मामला बताते हुए प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है.
आंकड़ों में छिपा सच
सीएचडी ने पुलिस के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि शहर में पाए गए 'अज्ञात शवों' का लगभग 80 प्रतिशत बेघर व्यक्तियों का है.एनजीओ का कहना है कि सर्दी के महीनों में पर्याप्त गर्म कपड़े, कंबल और सुरक्षित आश्रय न मिलने के कारण इन लोगों की जान जा रही है.
पत्र में एनजीओ ने लिखा, 'शून्य से नीचे तापमान में बिना गर्म कपड़ों या पर्याप्त आश्रय के, बेघर लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इनमें श्वसन संक्रमण, त्वचा रोग और हृदय संबंधी बीमारियां शामिल हैं. इन स्थितियों के चलते जटिलताएं बढ़ती हैं और मौत का खतरा कई गुना बढ़ जाता है'
स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ता असर
एनजीओ ने ठंड के महीनों में सड़कों पर रहने वाले लोगों के सामने आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर प्रकाश डाला. इनमें अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), गठिया रोग और बिगड़ता मानसिक स्वास्थ्य शामिल है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ठंड के कारण दीर्घकालिक बीमारियां और भी गंभीर हो जाती हैं, जिससे मृत्यु दर में इज़ाफा हो रहा है.
आश्रय स्थलों की खस्ता हालत
सीएचडी ने बताया कि दिल्ली में उपलब्ध आश्रय स्थल (रैन बसेरा) ठंड के महीनों में बढ़ी हुई मांग को पूरा करने में असमर्थ है. जो आश्रय उपलब्ध हैं, उनमें गर्म पानी और हीटिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. इन कारणों से सैकड़ों लोगों को कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रहना पड़ता है.
समाधान और सिफारिशें
एनजीओ ने प्रशासन से मांग की है कि शहर में आश्रय स्थलों की संख्या और गुणवत्ता में सुधार किया जाए. पत्र में गर्म कपड़ों, कंबलों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया. इसके अलावा, एनजीओ ने समावेशी आवास नीतियों और व्यापक सहायता सेवाओं के माध्यम से बेघर होने के मूल कारणों का समाधान करने की सिफारिश की.