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'370 एक कलंक.. इसे मिटाना चाहता था.. राजनीतिक मुद्दा नहीं, समाज की आकांक्षाओं का विषय..', SC के फैसले पर PM मोदी का लेख

प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फैसले के संबंध में एक आलेख लिखा है. पीएम मोदी ने अपने लेख में अनुच्छेद 370 को देश के लिए कलंक बताया है.

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Avinash Kumar Singh
पीएम मोदी

हाइलाइट्स

  • आर्टिकल 370 पर SC के दिये फैसले पर PM मोदी का लेख
  • आर्टिकल-370 को हटाए जाने को SC ने ठहराया जायज

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय के फैसले के संबंध में एक आलेख लिखा है. पीएम मोदी ने अपने लेख में अनुच्छेद 370 को देश के लिए कलंक बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लेख में लिखा कि 11 दिसंबर को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. 

'SC के फैसले ने लोगों की एकजुटता की भावना को किया मजबूत'

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा "सर्वोच्‍च न्‍यायालय की ओर से अनुच्छेद 370 और 35 (ए) पर दिए निर्णय ने संवैधानिक अखंडता को बढ़ाया है. इस निर्णय ने भारत के लोगों के बीच एकजुटता की भावना को भी मजबूत किया है. जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में आए बदलाव पर पढ़िए मेरा यह आलेख."

'संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देशय से लिया गया फैसला'

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लेख में लिखा "भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को निरस्त करने पर 11 दिसंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में भारत की संप्रभुता और अखंडता को बरकरार रखा है, जिसे प्रत्येक भारतीय द्वारा सदैव संजोया जाता रहा है. सुप्रीम कोर्ट का यह कहना पूरी तरह से उचित है कि 5 अगस्त 2019 को हुआ निर्णय संवैधानिक एकीकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया था, न कि इसका उद्देश्य विघटन था. सर्वोच्च न्यायालय ने इस तथ्य को भी भलीभांति माना है कि अनुच्छेद 370 का स्‍वरूप स्थायी नहीं था."

'जम्मू-कश्मीर का मुद्दा समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने का विषय'

PM मोदी ने आगे लिखा "देश की आजादी के समय तब के राजनीतिक नेतृत्व के पास राष्ट्रीय एकता के लिए एक नई शुरुआत करने का विकल्प था, लेकिन तब इसके बजाय उसी भ्रमित समाज का दृष्टिकोण जारी रखने का निर्णय लिया गया, भले ही इस वजह से दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करनी पड़ी. मुझे अपने जीवन के शुरुआती दौर से ही जम्मू-कश्मीर आंदोलन से जुड़े रहने का अवसर मिला है. मेरी अवधारणा सदैव ही ऐसी रही है जिसके अनुसार जम्मू-कश्मीर महज एक राजनीतिक मुद्दा नहीं था, बल्कि यह विषय समाज की आकांक्षाओं को पूरा करने के बारे में था. कई सालों बाद पूर्व पीएम अटल जी ने श्रीनगर में एक सार्वजनिक बैठक में ‘इंसानियत’, ‘जम्हूरियत’ और ‘कश्मीरियत’ का प्रभावशाली संदेश दिया, जो सदैव ही प्रेरणा का महान स्रोत भी रहा है. मेरा हमेशा से दृढ़ विश्वास रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जो कुछ हुआ था, वह हमारे राष्ट्र और वहां के लोगों के साथ एक बड़ा विश्वासघात था. मेरी यह भी प्रबल इच्छा थी कि मैं इस कलंक को, लोगों पर हुए इस अन्याय को मिटाने के लिए जो कुछ भी कर सकता हूँ, उसे जरूर करूँ. मैं हमेशा से जम्मू-कश्मीर के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए काम करना चाहता था."

आर्टिकल-370 को हटाए जाने को SC ने ठहराया जायज

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370(3) की शक्तियों के तहत राष्ट्रपति का फैसला सही था और इस पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखा और भारत के चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि पुनर्गठन अधिनियम की धारा 14 के तहत गठित जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव 30 सितंबर 2024 तक कराने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा कदम उठाए जाएंगे.