Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना के करीब 3,000 अग्निवीरों ने अपने साहस और प्रशिक्षण का अद्भुत प्रदर्शन किया. इन जवानों ने वायु रक्षा प्रणाली (एडी) के तहत महत्वपूर्ण हथियारों और तकनीकी सिस्टम का संचालन करते हुए पाकिस्तान के मिसाइल और ड्रोन हमलों को नाकाम किया. यह टकराव 7 से 10 मई के बीच हुआ, जब पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों और शहरों पर हमलों की कोशिश की थी.
अग्निवीरों ने निभाई निर्णायक भूमिका
बता दें कि, 20 साल से कम उम्र के इन अग्निवीरों की बहादुरी ने साबित कर दिया कि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए सैनिक भी किसी नियमित जवान से कम नहीं हैं. सेना से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ''अग्निवीरों ने अग्निपरीक्षा पास कर ली है और उन्होंने साबित किया कि वे दुश्मन के हमलों को नाकाम करने में सक्षम हैं.''
'आकाशतीर' बना रक्षा का मुख्य स्तंभ
वहीं, अग्निवीरों ने 'आकाशतीर' प्रणाली के संचालन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. यह एक आधुनिक वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली है, जिसे स्थानीय स्तर पर विकसित किया गया है. इस सिस्टम ने पाकिस्तान के हमलों का तत्काल जवाब देने में सेना की मदद की.
तकनीकी दक्षता में भी आगे
बताते चले कि अग्निवीरों को चार प्रमुख भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया: गनर, फायर कंट्रोल ऑपरेटर, रेडियो ऑपरेटर और मिसाइल युक्त वाहनों के चालक. इन्होंने एल-70, ज़ू-23-2बी तोपों, पिकोरा, शिल्का, ओएसए-एके, स्ट्रेला और तुंगुस्का जैसी एडवांस सिस्टम्स का संचालन कर दुश्मन के मंसूबों को कुचल दिया.
7 मई को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर
इसके अलावा, यह ऑपरेशन पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. चार दिनों तक चले इस सैन्य संघर्ष में भारत ने पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के कई शहरों पर हमले किए, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने उन्हें विफल कर दिया.
इतना ही नहीं, चार साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को सेवा निधि और बीमा कवर मिलता है. हालांकि इन्हें पेंशन नहीं दी जाती, लेकिन कई राज्यों और संस्थाओं ने इन्हें नौकरी में प्राथमिकता देने की घोषणा की है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस जैसी कंपनियों ने भी इन्हें नियुक्त करने का ऐलान किया है.