Yash Chopra Birth Anniversary: 27 सितंबर को हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्म निर्माता यश चोपड़ा की 93वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उनकी फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हैं, जो प्रेम, संघर्ष और मानवीय भावनाओं की अनूठी कहानियां बुनती हैं. आइए उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों पर नजर डालते हैं, जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं.
दीवार (1975): यह फिल्म उस दौर की सच्चाई को दर्शाती है, जब लोग व्यवस्था से निराश थे. विजय (अमिताभ बच्चन) और रवि (शशि कपूर) दो भाइयों की कहानी, जो अलग-अलग विचारधाराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनकी टकराहट और भावनात्मक गहराई ने इस फिल्म को अमर बना दिया. संवाद जैसे 'मेरे पास मां है' आज भी गूंजते हैं.
दाग (1973): यह फिल्म प्रेम और नैतिकता के बीच जूझती एक मुश्किल कहानी को सरलता से पेश करती है. राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की जोड़ी ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से बांधे रखा. यह फिल्म अपने संगीत और कहानी की गहराई के लिए आज भी याद की जाती है.
त्रिशूल (1978): बदला, महत्वाकांक्षा और पारिवारिक टकराव की कहानी को यश चोपड़ा ने बखूबी पेश किया. संजीव कुमार, अमिताभ बच्चन और राखी जैसे सितारों से सजी यह फिल्म अपने तीखे संवादों और गहन ड्रामे के लिए जानी जाती है. यह यश चोपड़ा की बहुमुखी प्रतिभा का सबूत है.
सिलसिला (1981): प्रेम, विश्वासघात और सामाजिक बंधनों की इस कहानी में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और रेखा की तिकड़ी ने कमाल कर दिखाया। यश चोपड़ा की हिम्मत और उनके निर्देशन ने इस फिल्म को खास बना दिया. इसका संगीत आज भी लोगों की जुबान पर है.
चांदनी (1989): श्रीदेवी की खूबसूरती और यश चोपड़ा का जादू इस फिल्म में एक साथ नजर आता है. प्रेम कहानी भले ही साधारण थी, लेकिन घटनाओं की तीव्रता ने दर्शकों को अंत तक बांधे रखा.
दिल तो पागल है (1997): शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की यह फिल्म एक म्यूजिकल ड्रामा है, जो प्रेम त्रिकोण की कहानी को जीवंत करती है. इसका संगीत और नृत्य आज भी युवाओं को थिरकने पर मजबूर कर देता है.
यश चोपड़ा की फिल्में केवल कहानियां नहीं, बल्कि भावनाओं का समंदर हैं, जो हर पीढ़ी को छूती हैं. उनकी विरासत हिंदी सिनेमा में हमेशा चमकती रहेगी.