menu-icon
India Daily

केसरी वीर के फ्लॉप होने के बाद सूरज पंचोली ने छोड़ी एक्टिंग? खुद किया बड़ा खुलासा

सूरज पंचोली की फिल्म केसरी वीर बॉक्स ऑफिस पर असफल रही जिसके बाद उनके अभिनय छोड़ने की अफवाहें उड़ीं. अभिनेता ने अब सोशल मीडिया पर साफ किया कि उन्होंने अभिनय नहीं छोड़ा है.

auth-image
Edited By: Babli Rautela
Sooraj Pancholi-India Daily
Courtesy: Instagram (soorajpancholi)

मुंबई: आदित्य पंचोली और जरीना वहाब के बेटे सूरज पंचोली ने चार साल बाद फिल्म केसरी वीर के साथ बड़े पर्दे पर वापसी की थी. यह फिल्म मई 2025 में रिलीज हुई थी और इसे दर्शकों से उम्मीद के मुताबिक रिएक्शन नहीं मिला. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म असफल रही और तभी से अभिनेता ने कोई नया प्रोजेक्ट घोषित नहीं किया है. इसी कारण से सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि शायद सूरज ने अभिनय छोड़ दिया है.

29 अक्टूबर को सूरज पंचोली ने इन अफवाहों पर सोशल मीडिया पर अपना रिएक्शन साझा किया है. उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा कि कुछ लेखों में यह कहा जा रहा है कि उन्होंने फिल्में छोड़ दी हैं लेकिन यह बिल्कुल सच नहीं है. सूरज ने अपने पोस्ट के साथ दिल और क्लैपबोर्ड का इमोजी भी साझा किया और अपने प्रशंसकों को भरोसा दिलाया कि वे अभिनय जारी रखेंगे.

अपने जेल के अनुभव पर क्या बोले सूरज पंचोली

सूरज पंचोली ने हाल ही में जिया खान आत्महत्या मामले के दौरान जेल में बिताए अपने कठिन दिनों को भी याद किया. उन्होंने बताया कि उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल की उसी कोठरी में रखा गया था जिसमें कभी आतंकवादी अजमल कसाब को रखा गया था. उन्होंने कहा कि उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया मानो उन्होंने कोई बम धमाका किया हो.

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Sooraj P (@soorajpancholi)

अकेलेपन में बिताए 22 दिन

सूरज ने बताया कि जब वे जेल में थे तब उनकी उम्र केवल 21 वर्ष थी और वे मानसिक रूप से बहुत डरे हुए थे. उन्होंने कहा कि उन्हें अलग रखा गया और किसी से बात करने की अनुमति नहीं थी. उन्होंने आगे बताया कि उन्हें तकिया तक नहीं दिया गया और वे उन्हीं अखबारों पर सोते थे जिनमें उनके केस की खबरें छपी होती थीं. उन्होंने कहा कि यह समय उनके लिए बहुत कठिन था और सब कुछ एक धुंधली याद की तरह लगता है.

सूरज पंचोली ने कहा कि जेल के उन दिनों को उन्होंने एक सपने जैसा महसूस किया था क्योंकि वह बहुत छोटे थे और नहीं जानते थे कि कैसे प्रतिक्रिया करनी है. उन्होंने कहा कि उन्हें चार या पांच साल बाद जाकर एहसास हुआ कि उन्होंने क्या झेला था. यह समय उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा सबक साबित हुआ जिसने उन्हें और मजबूत बनाया.