Smita Patil Death Anniversary: बॉलीवुड में हर कोई बड़ा नाम कमाने की राह से आता है हालांकि ये कोई बच्चो का खेल नहीं है इस काम में कड़ी मेहनत की जरूरत होती है. यहां हर कोई अपनी कड़ी मेहनत और अभिनय के दम पर सफलता हासिल करता है. हालांकि, कुछ ऐसी दिलचस्प कहानियां हैं जो यह साबित करती हैं कि कभी-कभी एक तस्वीर भी किसी की तकदीर बदल सकती है. आज हम आपको हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अदाकारा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी जिंदगी में एक साधारण सी तस्वीर ने उन्हें बॉलीवुड की सबसे बड़ी एक्ट्रेस में शुमार कर दिया.
हम बात कर रहे हैं स्मिता पाटिल की, जिनका निधन 13 दिसंबर 1986 को महज 31 साल की उम्र में हुआ था. उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे एक तस्वीर ने उन्हें बॉलीवुड में अपना नाम बनाने का मौका दिया.
स्मिता पाटिल का नाम सुनते ही सबसे पहले उनके अभिनय और खूबसूरती का ख्याल आता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्मिता पहले न्यूज एंकर हुआ करती थीं? जी हां, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत दूरदर्शन से की थी, जहां वे मराठी समाचार पढ़ती थीं. लेकिन उस वक्त स्मिता को यह नहीं पता था कि उनका यह सफर उन्हें बॉलीवुड तक ले जाएगा.
इस कहानी का जिक्र स्मिता पाटिल की जीवनी 'स्मिता पाटिल: ए ब्रीफ इनकैनडिसेंस' में किया गया है. किताब के अनुसार, एक दिन दीपक किरपेकर नाम के फोटोग्राफर ने स्मिता पाटिल की एक तस्वीर खींची थी. यह तस्वीर उन्होंने दूरदर्शन को भेजी थी, लेकिन जैसे ही तस्वीर नीचे गिरी, मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर पीवी कृष्णामूर्ति की नजर उस पर पड़ी. उन्होंने तुरंत पूछा, 'यह किसकी तस्वीर है?'
इस घटना के बाद, कृष्णामूर्ति ने स्मिता पाटिल से मिलने का फैसला लिया, और जब वे उनसे मिले, तो उन्होंने उन्हें न्यूज एंकरिंग के लिए मनाया. हालांकि, स्मिता पहले इस पेशे को लेकर आश्वस्त नहीं थीं, लेकिन कृष्णामूर्ति ने उन्हें एंकरिंग की दिशा में ऑडिशन देने के लिए राजी कर लिया.
ऑडिशन के दौरान, स्मिता पाटिल ने बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत 'आमार शोनार बांग्ला' गाया, जिसकी मधुरता ने कृष्णामूर्ति को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद उन्हें मुंबई दूरदर्शन में मराठी न्यूज एंकर के रूप में काम पर रख लिया गया. यह वह समय था जब स्मिता पाटिल के करियर ने एक नया मोड़ लिया था.
जब स्मिता पाटिल दूरदर्शन पर समाचार पढ़ रही थीं, तब उनकी आवाज और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर पॉपुलर फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने उन्हें अपनी फिल्म के लिए चुना. उन्होंने उन्हें अपनी फिल्म 'चरणदास चोर' में अभिनय का अवसर दिया. यह फिल्म एक अहम कदम साबित हुई, लेकिन स्मिता पाटिल को असली पहचान मिली थी 1975 में आई फिल्म 'निशांत' से. इस फिल्म के बाद उनकी सफलता की राह पक्की हो गई.