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Raid 2 Movie Review: अमय पटनायक के किरदार में दमके अजय देवगन, थिएटर में ‘रेड 2’ देखने से पहले जान लें कैसी है फिल्म

Raid 2 Movie Review: आयकर अधिकारी अमय पटनायक के किरदार में अजय देवगन एक बार फिर लौटे हैं. इस बार उनके सामने है रितेश देशमुख का दोहरा चेहरा—एक सम्मानित राजनेता और अंदर से पूरी तरह भ्रष्ट ‘मनोहर भाई’ हैं. फिल्म का सबसे प्रभावी डायलॉग, 'पब्लिक का पैसा पब्लिक को वापस करते हैं,' इसकी आत्मा को उजागर करता है.  

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Edited By: Babli Rautela
Raid 2 Movie Review
Courtesy: Social Media

Raid 2 Movie Review: राज कुमार गुप्ता की डायरेक्टेड ‘रेड 2’ में अजय देवगन एक बार फिर आयकर अधिकारी अमय पटनायक के किरदार में लौटे हैं. इस बार उनके सामने है रितेश देशमुख का दोहरा चेहरा—एक सम्मानित राजनेता और अंदर से पूरी तरह भ्रष्ट ‘मनोहर भाई’ हैं. फिल्म का सबसे प्रभावी डायलॉग, 'पब्लिक का पैसा पब्लिक को वापस करते हैं,' इसकी आत्मा को उजागर करता है.  

कहानी की शुरुआत होती है अमय पटनायक (अजय देवगन) को जयपुर से ट्रांसफर कर भोज में पोस्ट किया जाता है. यहां उनका 75वां छापा उनका इंतजार कर रहा है, और इस बार निशाना है मनोहर भाई यानी रितेश देशमुख. हालांकि, यह छापा पहले जैसे नहीं रहता – यहां कोई सोना नहीं बरसता, बल्कि खुद अमय ही सस्पेंशन झेलते हैं. लेकिन आम आदमी की लड़ाई लड़ने वाला ये अधिकारी आसानी से हार मानने वाला नहीं. कैसे वह भ्रष्टाचार से लड़ता है और क्या मनोहर भाई को बेनकाब कर पाता है, यही फिल्म का असली रोमांच है.

कैसा था अजय देवगन का काम?

अजय देवगन इस किरदार में पूरी तरह ढल चुके हैं. पैंट-शर्ट पहनने वाला एक आम इंसान, जो कानून के सहारे भ्रष्ट तंत्र को चुनौती देता है. बिना ज्यादा चीख-चिल्लाहट और एक्शन के, वह अपनी मौजूदगी और दृढ़ता से किरदार को जीवंत कर देते हैं.

वाणी कपूर को इस बार थोड़ा और स्क्रीन स्पेस मिला है. उन्होंने अपने सीमित किरदार को संजीदगी से निभाया और आखिर में अहम रोल निभाती है. हालांकि इलियाना की तुलना में वे थोड़ा बेहतर अवश्य रहीं, लेकिन और गहराई की गुंजाइश थी.

रितेश देशमुख एकदम नए अवतार में हैं – उनका ‘अंदर से सड़ा हुआ नेता’ वाला रूप प्रभावशाली है. मगर अगर उनके किरदार में और माइंड गेम्स या मनोवैज्ञानिक चालें होतीं, तो प्रभाव दोगुना हो सकता था.

सौरभ शुक्ला और अमित सियाल अपने कॉमिक टाइमिंग के लिए जाने जाते हैं, और यहां भी वही रंग दिखाते हैं. दोनों ने हास्य और गंभीरता के बीच का संतुलन शानदार बनाए रखा. सुप्रिया पाठक ने एक भोली मां के रूप में सादगी और अज्ञानता का मिश्रण बखूबी दिखाया. रजत कपूर, अजय के सीनियर के रूप में पूरी तरह संतुलित और गंभीर नजर आते हैं.

फिल्म का डायरेक्शन

राज कुमार गुप्ता ने ‘रेड’ के फ्रेमवर्क को आगे बढ़ाते हुए इस बार ज्यादा थ्रिल और स्पीड जोड़ी है. फिल्म में हास्य का पुट, सिस्टम पर कटाक्ष, और राजनीतिक भ्रष्टाचार की परतें स्मार्ट तरीके से गूंथी गई हैं. हालांकि कुछ सीक्वेंस पुराने फॉर्मूलों की याद दिलाते हैं – जैसे डायलॉग्स जिनमें 'देख यहां कौन है' जैसा नाटकीय पुट थोपा गया है. फिल्म का पहला भाग कभी-कभी धीमा महसूस होता है, लेकिन दूसरा हिस्सा पूरी तरह संभाल लेता है और दर्शक को जोड़कर रखता है. तमन्ना भाटिया का आइटम नंबर फिल्म में रंग भरता है, लेकिन हनी सिंह और जैकलीन फर्नांडीज का 'मनी मनी' ट्रैक थोड़ा गैरजरूरी लगता है.  

‘रेड 2’ में अजय देवगन एक बार फिर साबित करते हैं कि एक साधारण आदमी भी असाधारण लड़ाई लड़ सकता है. फिल्म भ्रष्टाचार के खिलाफ एक भावुक और साहसी स्टैंड है, जिसे मनोरंजन, कॉमेडी और थ्रिल के मिश्रण से बेहतरीन ढंग से पेश किया गया है.