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India Daily

Manoj Bajpayee: 'डर से भाग्य का फैसला नहीं', आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मनोज बाजपेयी ने क्यों कही ये बात

अभिनेता मनोज बाजपेयी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों से संबंधित फैसले पर अपनी राय दी है. उन्होंने सोमवार को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा कि आवारा कुत्तों का भविष्य तय करने में डर को आधार नहीं बनाना चाहिए. मनोज ने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि जानवरों के प्रति करुणा जरूरी है, लेकिन साथ ही लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है.

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Edited By: Antima Pal
Manoj Bajpayee
Courtesy: social media

Manoj Bajpayee News: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों से संबंधित फैसले पर अपनी राय दी है. उन्होंने सोमवार को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लिखा कि आवारा कुत्तों का भविष्य तय करने में डर को आधार नहीं बनाना चाहिए. मनोज ने इस मुद्दे पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाते हुए कहा कि जानवरों के प्रति करुणा जरूरी है, लेकिन साथ ही लोगों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है, जिसके बाद पूरे देश में इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई है. कुछ लोग इस फैसले का सपोर्ट कर रहे हैं, तो कुछ इसे जानवरों के प्रति क्रूरता मान रहे हैं. मनोज का यह बयान इस बहस में एक नया नजरिया लेकर आया है, जिसमें उन्होंने दोनों पक्षों को ध्यान में रखने की बात कही है.

'डर से भाग्य का फैसला नहीं'

मनोज ने अपने बयान में लिखा, 'हमें जानवरों के लिए प्यार और सम्मान दिखाना होगा, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि लोग सुरक्षित महसूस करें. डर के आधार पर कोई फैसला नहीं लिया जाना चाहिए,' उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर खूब ध्यान खींचा है और लोग उनकी संवेदनशीलता और समझदारी की तारीफ कर रहे हैं.

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Manoj Bajpayee social media

यह पहली बार नहीं है जब मनोज ने सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखी हो. वह अक्सर अपनी फिल्मों और बयानों के जरिए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते नजर आते हैं. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आवारा कुत्तों के प्रबंधन और लोगों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है. मनोज का बयान इस बात पर जोर देता है कि इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ हल करना जरूरी है. उनके शब्दों ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम जानवरों और इंसानों के बीच सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं.