आर्यन खान की 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' ने की समीर वानखेड़े की बदनामी? दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें आर्यन खान की 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' पर अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग की गई थी.
नई दिल्ली: शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान द्वारा लिखित और निर्देशित नेटफ्लिक्स सीरीज 'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' ने पूर्व एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए एक नया विवाद खड़ा कर दिया है. मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने वानखेड़े की अंतरिम रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
जस्टिस पुरुषेंद्र कौशिक ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और दो अहम सवाल खड़े किए, जिनका जवाब तय करेगा कि केस आगे बढ़ेगा या नहीं. वानखेड़े ने रेड चिलीज एंटरटेनमेंट और नेटफ्लिक्स पर मानहानि का मुकदमा दायर किया है. उनका दावा है कि सीरीज के पहले एपिसोड में 32:02 से 33:50 मिनट के बीच एक कैरेक्टर उनकी शक्ल और अंदाज से मिलता-जुलता है, जो एक करप्ट कॉप के रूप में दिखाया गया है.
'द बैड्स ऑफ बॉलीवुड' ने की समीर वानखेड़े की बदनामी?
ये सीन एक यॉट पार्टी पर रेड और एक युवा स्टार की गिरफ्तारी का है, जो 2021 के कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स केस की याद दिलाता है. वानखेड़े का कहना है कि ये सीन न सिर्फ उनकी छवि खराब करता है, बल्कि एंटी-ड्रग एजेंसियों की साख को भी ठेस पहुंचाता है. उन्होंने 2 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है, जो टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल को दान करने की शर्त पर.
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित
वानखेड़े के वकील ने दिल्ली में केस की वैधता का बचाव किया. उनका तर्क था कि वानखेड़े के रिश्तेदारों ने यहां सीरीज देखी, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई दिल्ली में लंबित है और मीडिया हाउस भी इसी शहर में हैं. लेकिन रेड चिलीज के वकील नीरज किशन कौल और नेटफ्लिक्स के राजीव नैय्यर ने जोरदार विरोध किया. उन्होंने कहा कि केस मुंबई में होना चाहिए, क्योंकि वानखेड़े और कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस वहां है.
कौल ने जोर देकर कहा कि सीरीज बॉलीवुड की विवादों पर सटायर है – जैसे नेपोटिज्म, पपराज्जी कल्चर, एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स और न्यूकमर्स की स्ट्रगल. ये कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं, बल्कि फिक्शनल स्टोरी है, जो आर्टिस्टिक फ्रीडम के दायरे में आती है. नैय्यर ने कहा, 'आर्यन खान द्वारा बनाई गई होने से ही मेलिस (दुर्भावना) साबित नहीं होती.
वानखेड़े को ये प्रूव करना होगा कि ये पर्सनल रिवेंज है. 'कोर्ट ने दो सवाल फ्रेम किए: पहला, क्या दिल्ली में केस बनाए रखा जा सकता है? दूसरा, क्या सीरीज का वो हिस्सा, पूरे संदर्भ में देखा जाए तो, प्रोटेक्टेड आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन से निकलकर वानखेड़े की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला है?