मुंबई: जेम्स कैमरन का नाम हमेशा ऐसे सिनेमा से जुड़ा रहा है जो तकनीक और भावनाओं का नया अनुभव देता है. साल 2009 में आई अवतार ने दर्शकों को पैंडोरा की अनोखी दुनिया से रूबरू कराया था. इंसानी लालच और प्रकृति की रक्षा का टकराव उस समय बेहद प्रभावी लगा. अब अवतार फायर एंड ऐश के साथ फ्रेंचाइजी अपने तीसरे पड़ाव पर पहुंच चुकी है और दर्शक एक बार फिर पैंडोरा लौटते हैं.
फिल्म की कहानी जेक सुली और नेतिरी के परिवार के इर्द गिर्द घूमती है. वे अभी भी अपने बड़े बेटे नेटेयाम की मौत के सदमे से बाहर नहीं निकल पाए हैं. लोआक अपराधबोध में डूबा है और जेक का उसके प्रति व्यवहार सख्त हो चुका है. नेतिरी स्पाइडर को उसकी दुनिया में वापस भेजना चाहती है. इसी दौरान कर्नल माइल्स क्वारिच और मंगक्वान कबीले की त्साहिक वरंग की एंट्री कहानी को नए मोड़ पर ले जाती है.
अवतार फायर एंड ऐश लगातार एक्शन और भावनात्मक पलों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है. फिल्म परिवार भाईचारे प्रकृति और मातृत्व जैसे विषयों को आगे बढ़ाती है. जेम्स कैमरन का मैसेज साफ है कि लालच और हिंसा के बजाय सह अस्तित्व और प्रकृति से जुड़ाव जरूरी है. कई दृश्य इस सोच को मजबूती से सामने रखते हैं.
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके विजुअल इफेक्ट्स हैं. आईमैक्स और थ्री डी में क्लोज अप शॉट्स बेहद प्रभावशाली लगते हैं. पानी के अंदर के दृश्य और Eywa से जुड़े सीक्वेंस शानदार हैं. टुलकुन से जुड़े सीन भी भावनात्मक असर छोड़ते हैं. स्पाइडर और किरी के रिश्ते पर दिया गया फोकस कहानी को थोड़ी गहराई देता है.
इतने शानदार विजुअल्स के बावजूद फिल्म का रनटाइम इसकी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाता है. कहानी एक समय के बाद खिंचती हुई महसूस होती है. नीली चमड़ी वाले ना वी और ऐश पीपल के बीच का टकराव जितना दमदार होना चाहिए था उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाता. सरप्राइज एलिमेंट की कमी भी साफ नजर आती है जो वे ऑफ वॉटर में मौजूद था.
अवतार फायर एंड ऐश एक खराब फिल्म नहीं है लेकिन यह फ्रेंचाइजी की अब तक की सबसे कमजोर कड़ी जरूर लगती है. भव्य विजुअल्स मजबूत संदेश और भावनात्मक पल इसे एक बार देखने लायक बनाते हैं. हालांकि लंबा रनटाइम ज्यादा मेलोड्रामा और सीमित चौंकाने वाले मोमेंट्स इसकी चमक को थोड़ा फीका कर देते हैं. पैंडोरा की दुनिया अब भी खूबसूरत है लेकिन इस बार उसका जादू पहले जैसा नहीं लगता.