नई दिल्ली: साल 2025 अब महज कुछ दिनों का मेहमान है. इस साल दुनिया भर में काफी उथल-पुथल देखने को मिला. वहीं अगर अपने देश और यहां की राजनीतिक पार्टियों के बारे में बात करें तो इस साल में भारतीय जनता पार्टी को अपना दायरा बढ़ाने का मौका मिला. वहीं कांग्रेस धीरे-धीरे और सिमटती जा रही है. हालांकि कुछ ऐसी भी पार्टी है जिसको अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है.
इस साल दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी कराए गए. इन चुनावों के परिणाम ने सभी को चौका दिया. कुछ सीटों पर ऐसे मुकाबले हुए, जो चर्चा का विषय बना. तो चलिए एक बार फिर से इस साल के खास चुनाव और उसमें पार्टियों की जीत और हार को याद करते हैं.
दिल्ली विधानसभा के 70 सीटों पर 5 फरवरी को चुनाव हुआ. जिसमें लगभग 1 करोड़ मतदाताओं ने करीब 700 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले. इन वोटों का नतीजा 8 फरवरी को जारी किया गया. जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने 26 साल बाद दिल्ली में 48 सीटों पर जीत हासिल की.
वहीं एक दशक से अपने वापसी का इंतजार रही कांग्रेस पार्टी को इस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिल पाई. इसी के साथ इस बार कांग्रेस पार्टी का सपना चकनाचूर हो गया. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पार्टी को दिल्ली की सत्ता से हटाया था, जिसके बाद से लगातार कांग्रेस पार्टी अपनी वापसी की कोशिश में कर रही है. वहीं दिल्ली के कई सीटों पर आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के बीच कांटे का टक्कर देखने को मिला.
दिल्ली के चुनाव में सबसे बड़ी जीत आले मोहम्मद इकबाल को मिली. वे मटिया महल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें चुनौती देने के लिए 11 प्रत्याशियों ने चुनौती पेश की, हालांकि केवल भारतीय जनता पार्टी की दीप्ति अरोड़ा ही उन्हें उनको चुनौती देने में सफल रही. इसके बाद भी दोनों के बीच वोटों का बड़ा अंतर देखने को मिला. एक ओर इकबाल को 58,120 वोट मिले तो वहीं दीप्ति महज 15,396 वोट पर सिमट गई. इसी के साथ इकबाल ने 50.7 फीसदी के अंतर से चुनाव जीत लिया.
बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में बात करें तो, यहां 243 सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव हुए. इस बार बिहार में मुख्य रूप से दो गठबंधन के बीच मुकाबला देखने को मिला. एक ओर राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई वाला महागठबंधन मैदान में था. वहीं दूसरी ओर 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री बन चुके नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर रही थी. जिसमें भारतीय जनता पार्टी और चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति भी शामिल रही. इस मुकाबले का नतीजा बेहद दिलचस्प रहा. बीजेपी को जेडीयू से भी ज्यादा सीटों पर जीत मिली. बीजेपी को 89 तो वहीं जेडीयू को 85 सीटों पर जीत मिली. वहीं आरजेडी को 25 और कांग्रेस को महज 6 सीट ही मिल पाई.
इस पूरे मुकाबले में सबसे बड़ी जीत जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार कलाधर प्रसाद मंडल को मिली. कलाधर प्रसाद मंडल पूर्णिया जिले की रुपौली सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. उन्हें कुल 14 प्रत्याशियों ने चुनौती दी. लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी जीत की डोर को थामे रहा. उन्होंने इस चुनाव में बिहार की कद्दावर महिला नेता बीमा भारती को रिकॉर्डतोड़ मतों को भी पछाड़ दिया. कलाधर को 55.5 प्रतिशत वोट मिले. वहीं बीमा भारती को 22.8% वोट आए.
इन दो बड़े विधानसभा चुनावों के अलावा 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी हुए. जिसमें उत्तर प्रदेश का मिल्कीपुर सीट भी काफी चर्चे में रहा. इस सीट से बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को उतारा वहीं समाजवादी पार्टी की ओर से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उतारा गया. हालांकि इस मुकाबले में चंद्रभानु ने भारी मतों से जीत हासिल की. इसके अलावा ओडिशा समेत कई राज्यों के सीटों पर उपचुनाव हुए.