नई दिल्ली: सर्दी के मौसम में स्कूलों की शीतकालीन छुट्टियां छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए राहत लेकर आती हैं. सुबह की ठंड, कोहरा और गिरते तापमान के बीच पढ़ाई जारी रखना कई बार स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
इसी को ध्यान में रखते हुए देश के कई हिस्सों में स्कूलों ने शीतकालीन अवकाश की घोषणा की है. इन छुट्टियों से न केवल छात्रों को आराम मिलता है, बल्कि अभिभावकों को भी बच्चों के साथ समय बिताने का अवसर मिलता है.
उत्तर भारत समेत कई क्षेत्रों में तापमान में तेज गिरावट दर्ज की जा रही है. शीतलहर, घना कोहरा और खराब वायु गुणवत्ता के कारण छोटे बच्चों के बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसी वजह से स्कूल प्रशासन और राज्य सरकारें एहतियातन शीतकालीन अवकाश का फैसला कर रही हैं, ताकि छात्रों की सुरक्षा और सेहत से कोई समझौता न हो.
शीतकालीन अवकाश की अवधि सभी राज्यों में समान नहीं होती. कई राज्य स्थानीय मौसम की स्थिति को देखते हुए छुट्टियों की घोषणा करते हैं. निजी स्कूल भी अपने स्तर पर निर्णय लेते हैं. इसी कारण एक ही राज्य के अलग-अलग जिलों और स्कूलों में छुट्टियों की तिथियों में अंतर देखने को मिलता है.
महाराष्ट्र में शीतकालीन अवकाश स्कूल और बोर्ड के अनुसार अलग-अलग तय किया जाता है. सीबीएसई, आईसीएसई और अंतरराष्ट्रीय बोर्ड से जुड़े स्कूलों में आमतौर पर दिसंबर के अंत में क्रिसमस के आसपास छुट्टियां दी जाती हैं. ठंड बढ़ने पर स्कूल प्रबंधन अतिरिक्त अवकाश या समय में बदलाव का फैसला भी कर सकता है.
हरियाणा में राज्य सरकार की ओर से फिलहाल शीतकालीन अवकाश की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. हालांकि 1 जनवरी से छुट्टियां शुरू होने की संभावना जताई जा रही है. फरीदाबाद के कई निजी स्कूलों ने 1 जनवरी से 11 जनवरी तक अवकाश घोषित कर दिया है. साथ ही ठंड को देखते हुए स्कूल समय में भी बदलाव किया गया है.
खराब मौसम की स्थिति बनने पर शीतकालीन अवकाश की अवधि बढ़ाई भी जा सकती है. पहले भी कई राज्यों में भीषण ठंड के कारण छुट्टियां बढ़ाई गई हैं. प्रशासन मौसम पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर आगे के फैसले लिए जा सकते हैं.