अमेरिका में ‘फर्जी स्टूडेंट’ अलर्ट! नकली छात्रों पर कसा शिकंजा, DHS ने बनाया सख्त प्लान

अमेरिका में बढ़ते स्टूडेंट वीजा फ्रॉड ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) का कहना है कि बड़ी संख्या में लोग पढ़ाई के नाम पर वीजा लेकर आते हैं, लेकिन बाद में अवैध कामों में जुट जाते हैं.

GEMINI
Reepu Kumari

नई दिल्ली: अमेरिका अपनी हाई-क्वालिटी एजुकेशन और रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जाना जाता है, जहां दुनिया भर से लाखों छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में स्टूडेंट वीजा सिस्टम का गलत इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) की रिपोर्ट बताती है कि बड़ी संख्या में ऐसे छात्र आ रहे हैं जिनका असली उद्देश्य पढ़ाई नहीं, बल्कि अवैध रूप से काम करना या सिस्टम का फायदा उठाना है. यही वजह है कि DHS ने अब स्टूडेंट वीजा फ्रॉड पर कड़े कदम उठाने शुरू किए हैं.

सरकार का फोकस यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका में आने वाला हर विदेशी छात्र वास्तव में पढ़ाई करने के मकसद से आए. इसके लिए यूनिवर्सिटीज और स्कूलों में ‘स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम’ (SEVP) के अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे फर्जी छात्रों की पहचान शुरुआत में ही कर सकें.

यूनिवर्सिटीज को मिलेगी स्पेशल फ्रॉड-डिटेक्शन ट्रेनिंग

DHS देशभर की यूनिवर्सिटीज में जिम्मेदार अधिकारियों—जैसे प्रिंसिपल और डेज़िग्नेटेड स्कूल ऑफिसर्स—को फर्जी छात्रों की पहचान करने की नई ट्रेनिंग देने जा रहा है. अभी तक वे ‘फ्रॉड 101’ वीडियो, वर्ल्ड एजुकेशन सर्विसेज और अंतरराष्ट्रीय यूनिवर्सिटी डेटाबेस के आधार पर जानकारी जांचते थे, लेकिन अब ट्रेनिंग को और एडवांस बनाया गया है ताकि संदिग्ध पैटर्न जल्दी पकड़े जा सकें.

कैसे पकड़ेंगे नकली डॉक्यूमेंट और गलत जानकारी?

नई नीति के तहत हर डॉक्यूमेंट—पासपोर्ट, फाइनेंशियल प्रूफ, एडमिशन पेपर—की बारीकी से जांच होगी. छात्रों द्वारा जमा किए गए बैंक स्टेटमेंट, इंस्टिट्यूशनल लेटर्स और अकादमिक रिकॉर्ड को संबंधित संस्थानों से क्रॉस-वेरिफाई किया जाएगा. व्यक्तिगत निबंधों में मौजूद विसंगतियों को भी अब ‘रेड फ्लैग’ माना जाएगा. फर्जीवाड़े की छोटी से छोटी गड़बड़ी को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.

संदिग्ध पैटर्न: किन संकेतों से सतर्क होंगी यूनिवर्सिटीज

DHS अधिकारियों के मुताबिक फर्जी छात्रों के कुछ सामान्य पैटर्न सामने आए हैं—जैसे मान्यता-रहित स्कूल से पढ़ाई का दावा, एक जैसे फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट, निजी जानकारी में बार-बार बदलाव और जरूरी वेरिफिकेशन प्रक्रिया से बचना. यदि कोई छात्र ओरिएंटेशन, वीडियो कॉल इंटरव्यू या पहचान पुष्टि के चरणों में भाग नहीं लेता, तो उसे तुरंत संदिग्ध माना जाएगा.

वेरिफिकेशन सिस्टम होगा और मजबूत

सरकार अब बैंकों, शैक्षणिक संस्थानों और इंटरनेशनल डेटा प्लेटफॉर्म के साथ एक मजबूत वेरिफिकेशन सिस्टम बना रही है. इससे न सिर्फ डॉक्यूमेंट की जांच आसान होगी, बल्कि समय भी बचेगा. कई यूनिवर्सिटीज AI-बेस्ड स्कैनिंग टूल्स का भी इस्तेमाल करने जा रही हैं, जो तरह-तरह की विसंगतियों का संकेत पहले ही दे देते हैं.

सरकार का लक्ष्य: असली छात्रों को मिले सुरक्षा और सुविधा

DHS का कहना है कि इन कदमों का उद्देश्य असली छात्रों पर बोझ बढ़ाना नहीं, बल्कि सिस्टम को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है. अमेरिका ये सुनिश्चित करना चाहता है कि जो युवा वास्तव में पढ़ाई करना चाहते हैं, उन्हें बेहतर माहौल और सुरक्षा मिले. फर्जी छात्रों पर सख्ती होने से असली छात्रों के लिए अवसर और भी साफ और सुरक्षित होंगे.