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IAS Divya Tanwar Success Story: मां की मेहनत और हिम्मत से हरियाणा की बेटी बनी अफसर, संघर्ष ने लिखी सफलता की नई कहानी

IAS Divya Tanwar Success Story: दिव्या का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था. पिता के न रहने पर मां ने अकेले ही मेहनत-मजदूरी कर तीन बच्चों की परवरिश की. दिव्या हमेशा अपनी मां को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं और कहती हैं कि मां की हिम्मत ने ही उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी.

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Edited By: Reepu Kumari
IAS Divya Tanwar Success Story
Courtesy: X

IAS Divya Tanwar Success Story: भारत में यूपीएससी (UPSC) परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है. लाखों युवा हर साल इस परीक्षा में सफलता पाने का सपना लेकर बैठते हैं, लेकिन केवल कुछ ही उम्मीदवार अपने धैर्य, मेहनत और लगन से मंजिल हासिल कर पाते हैं. इन्हीं में से एक नाम है आईएएस दिव्या तंवर का, जिनकी कहानी हर उस छात्र को प्रेरित करती है जो सीमित संसाधनों में रहकर भी बड़े सपने देखने की हिम्मत करता है. दिव्या का बचपन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन मां के अटूट हौसले और अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने वह मुकाम हासिल किया, जिसे पाने के लिए लाखों युवा संघर्ष करते हैं.

दिव्या तंवर ने साबित किया कि इच्छाशक्ति और आत्मविश्वास से कोई भी असंभव लक्ष्य संभव किया जा सकता है. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी 2021 में 438वीं रैंक हासिल कर सबको चौंका दिया. उस वक्त वह मात्र 21 साल की थीं और खास बात यह कि उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग सेंटर के हासिल की. लेकिन दिव्या ने यहीं रुकना स्वीकार नहीं किया. अगले ही वर्ष यानी 2022 में उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और इस बार और भी शानदार प्रदर्शन करते हुए AIR 105 हासिल किया. इस तरह उन्होंने अपना सपना पूरा कर लिया और आईएएस अधिकारी बनकर देशभर के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं.

हरियाणा की मेधावी बेटी

दिव्या तंवर हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले की रहने वाली हैं. उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल में हुई, इसके बाद उनका चयन नवोदय विद्यालय महेंद्रगढ़ में हुआ. आगे चलकर उन्होंने विज्ञान विषय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी.

आर्थिक संघर्ष और मां का बलिदान

दिव्या का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था. पिता के न रहने पर मां ने अकेले ही मेहनत-मजदूरी कर तीन बच्चों की परवरिश की. दिव्या हमेशा अपनी मां को अपनी सफलता का श्रेय देती हैं और कहती हैं कि मां की हिम्मत ने ही उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दी.

प्रेरणा का पहला स्रोत

दिव्या ने बताया कि उन्हें आईएएस बनने की प्रेरणा उस समय मिली जब स्कूल में एक आईएएस अधिकारी आए थे. उसी दिन से उन्होंने ठान लिया था कि वह भी आगे चलकर प्रशासनिक सेवा में जाएंगी.

सोशल मीडिया पर प्रेरणा की मिसाल

आज दिव्या तंवर सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं. इंस्टाग्राम पर उनके करीब 90 हजार फॉलोअर्स हैं. वे वहां अपने अनुभव और मोटिवेशनल विचार साझा करती हैं, जिससे हजारों युवा अपनी राह बनाने की प्रेरणा लेते हैं.