भारतेंदु हरीशचंद्र की जयंती आज, 'नैन भरि देखौ गोकुल-चंद से लेकर है है उर्दू हाय हाय', उनकी फेमस कविताएं जिन्हें छात्र जरुर पढ़ें
Bharatendu Harishchandra Birth Anniversary: भारतेंदु हरीशचंद्र सामाजिक सुधार आंदोलनों से भी गहराई से जुड़े रहे. उन्होंने नारी शिक्षा के समर्थन में बाल बोधिनी पत्रिका प्रकाशित की और अपनी रचनाओं में भी महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया.
Bharatendu Harishchandra Birth Anniversary: भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितम्बर 1850 को बनारस में हुआ. उनके पिता गोपाल चंद्र 'गुरु हरदास' के नाम से शायरी किया करते थे. बचपन में ही माता-पिता का साया उनके सिर से उठ गया था. मात्र 15 साल की उम्र में वे पुरी के जगन्नाथ मंदिर की यात्रा पर गए और बंगाल की संस्कृति से गहरे प्रभावित हुए. इसी दौर में उन्हें नाटक और उपन्यास लेखन की प्रेरणा मिली.
भारतेंदु ने गद्य और पद्य की कई विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया. पत्रकारिता में भी उनका अहम स्थान है. उन्होंने कवि वाचन सुधा, हरीशचंद्र मैगजीन, हरीशचंद्र पत्रिका और बाल बोधिनी जैसी पत्रिकाओं का संपादन किया. नाटककार के रूप में भी उनकी पहचान स्थायी रही. उनके चर्चित नाटकों में भारत दुर्दशा, सत्य हरिश, नील देवी और अंधेर नगरी विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं. इसके अलावा उन्होंने प्रेमपरक कविताएं लिखीं और कई महत्वपूर्ण कृतियों का अनुवाद भी किया.
नारी शिक्षा का समर्थन
भारतेंदु हरीशचंद्र सामाजिक सुधार आंदोलनों से भी गहराई से जुड़े रहे. उन्होंने नारी शिक्षा के समर्थन में "बाल बोधिनी" पत्रिका प्रकाशित की और अपनी रचनाओं में भी महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया. वे आधुनिक शिक्षा और तकनीक के प्रशंसक थे और अंग्रेजी शासन के कुछ पहलुओं को सकारात्मक दृष्टि से देखते थे. सर सैयद अहमद खान से उनके गहरे संबंध थे, लेकिन उर्दू बनाम हिंदी के मुद्दे पर वे उनसे असहमत रहे. 6 जनवरी 1885 को मात्र 34 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, लेकिन हिंदी साहित्य में उनका योगदान उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेगा.
नैन भरि देखौ गोकुल-चंद
नैन भरि देखौ गोकुल-चंद
श्याम बरन तन खौर बिराजत अति सुंदर नंद-नंद
विथुरी अलकैं मुख पै झलकैं मनु दोऊ मन के फंद
मुकुट लटक निरखत रबि लाजत छबि लखि होत अनंद
संग सोहत बृषभानु-नंदिनी प्रमुदित आनंद-कंद
’हरीचंद’ मन लुब्ध मधुप तहं पीवत रस मकरंद
होली
कैसी होरी खिलाई
आग तन-मन में लगाई
पानी की बूंदी से पिंड प्रकट कियो सुंदर रूप बनाई
पेट अधम के कारन मोहन घर-घर नाच नचाई
तबौ नहिं हबस बुझाई
भूंजी भांग नहीं घर भीतर, का पहिनी का खाई
टिकस पिया मोरी लाज का रखल्यो, ऐसे बनो न कसाई
तुम्हें कैसर दोहाई
कर जोरत हौं बिनती करत हूं छांड़ो टिकस कन्हाई
आन लगी ऐसे फाग के ऊपर भूखन जान गंवाई
तुन्हें कछु लाज न आई
है है उर्दू हाय हाय
है है उर्दू हाय हाय कहां सिधारी हाय हाय
मेरी प्यारी हाय हाय मुंशी मुल्ला हाय हाय
बल्ला बिल्ला हाय हाय रोये पीटें हाय हाय
टांग घसीटैं हाय हाय सब छिन सोचैं हाय हाय
डाढ़ी नोचैं हाय हाय दुनिया उल्टी हाय हाय
रोजी बिल्टी हाय हाय सब मुखतारी हाय हाय
किसने मारी हाय हाय खबर नवीसी हाय हाय
दांत पीसी हाय हाय एडिटर पोसी हाय हाय
बात फरोशी हाय हाय वह लस्सानी हाय हाय
चरब-जुबानी हाय हाय शोख बयानि हाय हाय
फिर नहीं आनी हाय हाय
जागे मंगल-रूप सकल ब्रज-जन-रखवारे
जागे मंगल-रूप सकल ब्रज-जन-रखवारे
जागो नन्दानन्द -करन जसुदा के बारे
जागे बलदेवानुज रोहिनि मात-दुलारे
जागो श्री राधा के प्रानन तें प्यारे
जागो कीरति-लोचन-सुखद भानु-मान-वर्द्धित-करन
जागो गोपी-गो-गोप-प्रिय भक्त-सुखद असरन-सरन
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