यूनियन ऑफ आईटी एंड आईटीईएस एम्प्लॉइज (UNITE) ने मंगलवार को देशभर के कई शहरों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के खिलाफ प्रदर्शन किया. यूनियन ने आरोप लगाया कि टीसीएस की छंटनी से करीब 30,000 नौकरियां खतरे में हैं. सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (CITU) के समर्थन से यूनियन ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की और चेतावनी दी कि छंटनी का वास्तविक आंकड़ा घोषित संख्या से कहीं अधिक हो सकता है.
मुनाफे के लिए आजीविका नष्ट की जा रही
यूनियन ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज बड़े पैमाने पर अवैध छंटनी कर रही है, मिडिल-कैरियर कर्मचारियों को निशाना बनाया जा रहा है और मुनाफे के लिए आजीविका नष्ट की जा रही है. यह केवल नौकरियों पर हमला नहीं, बल्कि कर्मचारियों की गरिमा, अधिकारों और आईटी कर्मियों के भविष्य पर हमला है." यूनियन ने दावा किया कि टीसीएस की छंटनी से कई कर्मचारियों के जीवन पर गंभीर असर पड़ेगा.
टीसीएस का जवाब
टीसीएस ने इन आरोपों को "गलत और भ्रामक" करार देते हुए एक मीडिया चैनल को बताया कि यह बदलाव उनकी 6 लाख कर्मचारियों के वैश्विक कार्यबल का केवल 2% प्रभावित करेगा. कंपनी ने कहा कि यह पुनर्गठन "भविष्य के लिए तैयार संगठन" बनाने के लिए है, जिसमें क्लाउड, एआई, और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर जोर दिया जाएगा. प्रभावित कर्मचारियों को विच्छेद वेतन (Severance Pay) और संक्रमण (Transition) सहायता दी जाएगी.
उद्योग पर प्रभाव
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, टीसीएस 12,200 से अधिक नौकरियों में कटौती करेगा, जो भारत के 283 अरब डॉलर के आईटी सेवा क्षेत्र में एआई-प्रेरित बदलाव की शुरुआत हो सकती है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले 2-3 वर्षों में 5 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं. टीसीएस ने इसे कौशल असमानता का परिणाम बताया, न कि एआई की वजह से. हालांकि, विशेषज्ञ इसे उद्योग में बड़े बदलाव का संकेत मानते हैं.
सीईओ की सैलरी पर विवाद
टीसीएस के वार्षिक प्रतिवेदन के अनुसार, सीईओ के. कृतिवासन को वित्तीय वर्ष 2025 में 26.5 करोड़ रुपये का कुल वार्षिक मुआवजा मिला, जो पिछले वर्ष से 4.6% अधिक है. इसमें 1.39 करोड़ रुपये का बेसिक वेतन, 2.12 करोड़ रुपये के लाभ और भत्ते, और 23 करोड़ रुपये का कमीशन शामिल है. नेटिजन्स और आईटी कर्मचारियों ने इसकी तुलना मध्यम कर्मचारी वेतन से 329.8 गुना अधिक बताकर असंतोष जताया.