स्विटजरलैंड ने भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) को आधिकारिक तौर पर मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विटजरलैंड चारों EFTA सदस्यों ने इस ऐतिहासिक समझौते की पुष्टि पूरी कर ली है. 16 साल की लंबी बातचीत के बाद यह समझौता अक्टूबर 2025 से लागू होने की उम्मीद है, जो अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश और 10 लाख नौकरियां लाएगा.
स्विस राजदूत की प्रतिक्रिया
स्विटजरलैंड की भारत में राजदूत माया तिसाफी ने इसे भारत-स्विस संबंधों में “महत्वपूर्ण मील का पत्थर” करार दिया. उन्होंने कहा, “कल आधी रात [स्विस समय] को EFTA-भारत TEPA के लिए जनमत संग्रह की समय सीमा समाप्त हो गई. कोई जनमत संग्रह न होने से स्विस जनता ने अपनी मौन सहमति व्यक्त की है.”
TEPA के प्रमुख लाभ
यह समझौता टैरिफ में कमी, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सरल बनाने, बौद्धिक संपदा संरक्षण को मजबूत करने और भारत-EFTA देशों के बीच टिकाऊ व्यापार की नींव रखेगा. कुछ उत्पादों पर 10 वर्षों तक क्रमिक टैरिफ कटौती होगी. यह समझौता निवेशकों के लिए कानूनी और संस्थागत ढांचे को बेहतर बनाएगा, जिससे स्विस उच्च-मूल्य उद्योगों के लिए भारत में प्रवेश आसान होगा.
समझौते का महत्व
स्विटजरलैंड वर्तमान में भारत का 12वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसका संचयी निवेश 2000 में 551 मिलियन स्विस फ्रैंक (5,935 करोड़ रुपये) से बढ़कर 2024 में 10 अरब स्विस फ्रैंक (1.07 लाख करोड़ रुपये) हो गया है.
भारत-स्विस संबंध
पिछले सात दशकों में दोनों देशों के बीच शिक्षा, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सहयोग बढ़ा है. अक्टूबर 2023 में बेंगलुरु में शुरू हुई स्विस-इंडियन इनोवेशन प्लेटफॉर्म इसका उदाहरण है, जो IITs, स्विस विश्वविद्यालयों और कंपनियों को जोड़ता है.अगले कदमपिछले महीने, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्विटजरलैंड का दौरा कर कार्यान्वयन रोडमैप को अंतिम रूप दिया. उन्होंने फेडरल काउंसलर गाय परमेलिन और स्टेट सेक्रेटरी हेलेन बुडलिगर आर्टिएडा के साथ निवेश स्वीकृति, कौशल प्रशिक्षण और नवाचार साझेदारी पर चर्चा की. भारत सरकार EFTA डेस्क स्थापित कर रही है, जो बाजार प्रवेश और निवेश को सुगम बनाएगा.